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न्यायपालिका पर भी एआई का असर, CJI ने बताया क्यों जरूरी है सख्त नियम

न्यायपालिका पर भी एआई का असर, CJI ने बताया क्यों जरूरी है सख्त नियम

CJI बी आर गवई ने जेनरेटिव एआई के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे फेक तस्वीरें और भ्रमकारी सूचनाएँ आसानी से बनाई जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में जेनएआई को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है।

New Delhi: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तेज़ विस्तार जहां कई क्षेत्रों में मदद कर रहा है, वहीं इसके गलत इस्तेमाल की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इसी मुद्दे पर भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि एआई आधारित तकनीकें अब न्यायपालिका और पब्लिक लाइफ तक को प्रभावित कर रही हैं। CJI के अनुसार, उन्होंने अपनी खुद की फेक एआई-जनित तस्वीरें देखी हैं, जो यह दिखाता है कि यह तकनीक गलत दिशा में जाने पर कितनी हानिकारक हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का संदर्भ

इस पूरे मुद्दे की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका से हुई, जिसमें जेनेरेटिव एआई को विनियमित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि जेनेरेटिव एआई का दुरुपयोग समाज में भ्रम और गलत धारणाएं पैदा कर सकता है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि ऐसी तकनीकें बिना वास्तविक आधार के फेक डेटा तैयार कर सकती हैं, जो कानून और सामाजिक संरचना पर सीधा असर डालती हैं।

जेन एआई और एआई में अंतर

याचिका में दलील दी गई है कि एआई और जेन एआई दोनों अलग तकनीकें हैं। जहां सामान्य एआई मौजूद डेटा के आधार पर काम करता है, वहीं जेन एआई नए कंटेंट या तस्वीरें बना सकता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर तेजी से फैलने वाली फेक तस्वीरों का रिश्ता जेन एआई से जुड़ा हुआ है। यह तकनीक दिखने में वास्तविक जैसी तस्वीरें और वीडियो बना देती है, जिससे आम जनता भ्रमित हो सकती है।

संविधान के अधिकारों पर प्रभाव

याचिकाकर्ता ने कहा है कि अनियंत्रित जेन एआई संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है। क्योंकि अगर कोई तकनीक डेटा में भेदभाव या पूर्वाग्रह के आधार पर निर्णय लेती है, तो वह कानून के सही अनुपालन के खिलाफ है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि एआई सिस्टम पारदर्शी हों और उनके परिणाम किसी विशेष वर्ग या व्यक्ति के खिलाफ पक्षपात न करें।

न्यायपालिका में एआई के इस्तेमाल पर विचार

आज टेक्नोलॉजी न सिर्फ सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्र में, बल्कि न्यायिक तंत्र में भी शामिल हो रही है। कोर्ट में केस मैनेजमेंट, ट्रांसक्रिप्शन और डाटा एनालिसिस में एआई की मदद ली जा रही है। हालांकि, CJI गवई का कहना है कि इस तकनीक का उपयोग करते समय सावधानी बेहद जरूरी है। न्याय प्रणाली में भरोसा निष्पक्षता पर आधारित होता है और यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई किसी भी तरह का पक्षपात न करे।

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