प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेकर अपनी यात्रा का एक महत्वपूर्ण चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस सार्थक और रणनीतिक रूप से अहम दौरे के बाद वे अब क्रोएशिया के लिए रवाना हो गए हैं।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया क्रोएशिया दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभावों वाला है। वह क्रोएशिया जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिससे भारत और इस बाल्कन यूरोपीय देश के बीच संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। यह दौरा मोदी की तीन देशों की विदेश यात्रा का अंतिम चरण है, जिसमें उन्होंने साइप्रस और कनाडा के बाद अब क्रोएशिया का रुख किया है। यह दौरा न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीति में यूरोप के छोटे लेकिन अहम देशों की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
क्रोएशिया: भारत की विदेश नीति में क्यों है अहम?
क्रोएशिया यूरोपीय संघ (EU) और नाटो (NATO) का पूर्ण सदस्य है। यह बाल्कन क्षेत्र में स्थित एक रणनीतिक देश है, जो मध्य और पूर्वी यूरोप के साथ-साथ पश्चिम एशिया के बीच एक सेतु का कार्य करता है। भारत के लिए इस क्षेत्र में मजबूत कूटनीतिक उपस्थिति का मतलब है—यूरोप के जटिल राजनीतिक व आर्थिक ढांचे में सीधे प्रवेश और प्रभाव।
भारत की एक्ट ईस्ट और कनेक्ट वेस्ट नीतियों के बीच यूरोपीय रणनीति अब और अधिक सक्रिय होती जा रही है। मोदी सरकार ने जिस तरह अफ्रीका, मध्य एशिया और अरब देशों के साथ संबंध गहरे किए हैं, उसी तरह अब यूरोप के उन देशों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जो भले ही छोटे हों, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
दौरे का प्रमुख उद्देश्य
पीएम मोदी का क्रोएशिया दौरा केवल औपचारिक भेंट नहीं है, बल्कि इसके पीछे व्यापक रणनीतिक दृष्टिकोण है। इस दौरे में दोनों देशों के बीच निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया:
- रक्षा और नौसैनिक सहयोग: क्रोएशिया की नौसैनिक शक्ति और शिपबिल्डिंग तकनीक विश्व स्तर पर मानी जाती है। भारत, जो समुद्री सुरक्षा और आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है, इस क्षेत्र में क्रोएशिया के साथ तकनीकी और सामरिक साझेदारी की संभावना तलाश रहा है।
- ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी: क्रोएशिया ऊर्जा उत्पादन के आधुनिक तरीकों और नवीकरणीय स्रोतों में अग्रणी देशों में आता है। भारत के ऊर्जा संक्रमण मिशन के तहत यह साझेदारी भविष्य में अहम भूमिका निभा सकती है।
- आईटी, हेल्थ और एजुकेशन: क्रोएशिया के पास मेडिकल टेक्नोलॉजी और उच्च शिक्षा में मजबूत आधार है। भारत और क्रोएशिया के बीच स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम्स, डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशन्स और रिसर्च इनोवेशन पर सहयोग बढ़ सकता है।
- पर्यटन और सांस्कृतिक विनिमय: एड्रियाटिक सागर के किनारे बसे क्रोएशिया के पर्यटन स्थलों की विश्व में पहचान है। भारत इस क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही को बढ़ावा देकर एक नया द्विपक्षीय टूरिज्म सेगमेंट खड़ा कर सकता है। वहीं योग, आयुर्वेद और बॉलीवुड जैसी भारतीय सांस्कृतिक धरोहरें वहां के नागरिकों में रुचि बढ़ा रही हैं।
भारत-क्रोएशिया: पुराने संबंधों को नई ऊर्जा
भारत और क्रोएशिया के बीच राजनयिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे, जब क्रोएशिया ने यूगोस्लाविया से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। तब से दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध निरंतर प्रगाढ़ हुए हैं। लेकिन अब पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री का वहां जाना इन रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
2022 में भारत और क्रोएशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 250 मिलियन डॉलर रहा था, जो कि यूरोपीय मानकों के अनुसार अपेक्षाकृत कम है। लेकिन इस दौरे से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा दोगुना या तिगुना हो सकता है।