साल 2025 में प्लैटिनम ने कीमतों में 80% से अधिक की तेजी दिखाते हुए 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया, सोना और चांदी को पीछे छोड़ दिया। सप्लाई में गिरावट, इंडस्ट्रियल डिमांड और ज्वेलरी मांग के कारण कीमतों में तेजी आई। हालांकि 2008 के पीक लेवल तक अभी नहीं पहुंचा, प्लैटिनम का भविष्य मजबूत नजर आ रहा है।
Platinum Record: प्लैटिनम ने 2025 में कीमतों में अभूतपूर्व तेजी दिखाते हुए 80% का उछाल और 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जबकि सोना और चांदी इस मामले में पीछे रह गए। सप्लाई में कमी, दक्षिण अफ्रीका में उत्पादन बाधाएं और औद्योगिक तथा ज्वेलरी मांग के कारण प्लैटिनम की कीमत 1,637.75 डॉलर प्रति ओंस तक पहुंची। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह तेजी जारी रह सकती है।
50 साल का रिकॉर्ड टूटा
प्लैटिनम की कीमतों में इस साल करीब 80 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। विदेशी बाजारों में प्लैटिनम की कीमत 1,637.75 डॉलर प्रति ओंस पर पहुंच गई है, जबकि पिछले साल यह 903.83 डॉलर प्रति ओंस थी। यानी मौजूदा साल में प्लैटिनम में 733.92 डॉलर प्रति ओंस का इजाफा हुआ है। इस तेजी के साथ प्लैटिनम ने 50 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
17 साल का रिकॉर्ड अभी भी बरकरार
हालांकि प्लैटिनम ने 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है, लेकिन अपने 2008 में बनाए गए पीक प्राइस 2,250 डॉलर प्रति ओंस तक नहीं पहुंच पाया। वर्तमान में यह 2008 के पीक से करीब 27 फीसदी कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2023 और 2024 में प्लैटिनम की कीमतों में गिरावट के कारण यह रिकॉर्ड अभी भी नहीं टूट सका।
सोना और चांदी की कीमतों में भी तेजी
इस साल सोने की कीमतों में 51 फीसदी का इजाफा देखा गया है। कॉमेक्स के स्पॉट मार्केट में गोल्ड 3,977.45 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रहा है। वहीं चांदी की कीमतों में 69 फीसदी की बढ़त हुई है और इसकी कीमत 49 डॉलर प्रति ओंस के करीब है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में सोना और चांदी की कीमतें और बढ़ सकती हैं। इसके पीछे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और निवेशकों की सुरक्षित संपत्ति की तलाश प्रमुख कारण हैं।
प्रोडक्शन में लगातार गिरावट
प्लैटिनम की तेजी का एक बड़ा कारण उत्पादन में गिरावट है। दक्षिण अफ्रीका, जो विश्व का सबसे बड़ा प्लैटिनम उत्पादक देश है, में भारी वर्षा, बिजली कटौती और पानी की कमी के कारण उत्पादन में 24 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा, कम निवेश और ऊर्जा संकट ने सप्लाई को और सीमित कर दिया है।
वर्ल्ड प्लैटिनम इन्वेस्टमेंट काउंसिल के अनुसार, 2025 में वैश्विक मार्केट में अनुमानित 8,50,000 औंस की कमी होगी। यह लगातार तीसरी सालाना कमी है और बाजार में सप्लाई की तंगी को दर्शाती है।
डिमांड में जबरदस्त वृद्धि
प्लैटिनम की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है। ऑटोमोटिव सेक्टर, कैटेलिटिक कन्वर्टर्स और ग्रीन टेक्नोलॉजीज में इसका उपयोग कुल मांग का 70 प्रतिशत है। चीन ने भी सोने की तुलना में प्लैटिनम पर ध्यान केंद्रित किया है और ज्वेलरी प्रोडक्शन में 26 फीसदी का इजाफा किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्लैटिनम की निवेश डिमांड में साल-दर-साल 300 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, हाइड्रोजन इकोनॉमी में प्लैटिनम की भूमिका इसे भविष्य में और महत्वपूर्ण बनाती है।