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PM मोदी की तारीफ का मतलब BJP में जाना नहीं: शशि थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तोड़ी चुप्पी

PM मोदी की तारीफ का मतलब BJP में जाना नहीं: शशि थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तोड़ी चुप्पी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मंगलवार, 24 जून 2025 को स्पष्ट किया कि उनके द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर लिखे गए लेख को गलत संदर्भ में लिया जा रहा है। 

Shashi Tharoor on PM Modi: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर इन दिनों एक बार फिर चर्चा में हैं। वजह है—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुले मंच पर तारीफ करना। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में कयास तेज हो गए कि क्या थरूर बीजेपी में शामिल होने की तैयारी में हैं? लेकिन अब खुद शशि थरूर ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए साफ किया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य राष्ट्रहित में एकजुटता दिखाना था, न कि किसी दल में शामिल होने का इशारा।

'यह तारीफ नहीं, राष्ट्रीय संकल्प की बात है'

दरअसल, शशि थरूर ने अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू में प्रकाशित अपने लेख में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पीएम मोदी की वैश्विक मंचों पर भूमिका की प्रशंसा की थी। उन्होंने लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा, संवाद कौशल और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावशाली मौजूदगी भारत के लिए अहम पूंजी बन गई है।इस लेख को बीजेपी ने सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा छिड़ गई कि थरूर पार्टी लाइन से बाहर जाकर प्रधानमंत्री की सराहना कर रहे हैं।

हालांकि, एक पब्लिक कार्यक्रम में जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ किया, यह बीजेपी में शामिल होने का संकेत नहीं है। यह भारत के लिए खड़े होने और राष्ट्रीय हित की बात है। मैं संयुक्त राष्ट्र में 25 साल सेवा देने के बाद भारत लौटा, देश की सेवा के लिए।

क्या वाकई थरूर मोदी सरकार के करीब आ रहे हैं?

शशि थरूर के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह राष्ट्रहित के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की भूमिका की सराहना कर सकते हैं, लेकिन इससे उनकी राजनीतिक निष्ठा में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने दो टूक कहा कि भारत की विदेश नीति किसी पार्टी की नहीं होती, बल्कि वह संप्रभु राष्ट्र की नीति होती है, जिसे सभी दलों का समर्थन मिलना चाहिए। मेरे विचार से वास्तव में बीजेपी की विदेश नीति या कांग्रेस की विदेश नीति जैसी कोई चीज नहीं है, केवल भारतीय विदेश नीति और भारतीय राष्ट्रीय हित ही है।

क्या है 'ऑपरेशन सिंदूर' और थरूर की भूमिका?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया एक सैन्य अभियान था। इस घटना के बाद सरकार ने पांच देशों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और फ्रांस में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा, ताकि भारत की स्थिति और कार्रवाई को दुनिया के सामने स्पष्ट किया जा सके। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शशि थरूर ने किया था।

थरूर ने कहा, इस अभियान ने दुनिया को एक संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। यह केवल सरकार का अभियान नहीं था, बल्कि संपूर्ण राजनीतिक नेतृत्व की एकता का प्रतीक था।

मोदी की विदेश यात्राओं का किया समर्थन

अपने लेख में थरूर ने यह भी स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंचों पर भारत की छवि को मज़बूत करने का काम किया है। उन्होंने अब तक के प्रधानमंत्रियों की तुलना में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्राएं की हैं। इसका उद्देश्य भारत का संदेश दुनिया भर में पहुंचाना था। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इन प्रयासों को अधिक समर्थन और समन्वय की आवश्यकता है, ताकि भारत की विदेश नीति और भी प्रभावी हो सके।

थरूर की यह टिप्पणी कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकती है। खासकर तब, जब पार्टी अक्सर मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचना करती रही है। पार्टी नेतृत्व पहले भी थरूर की कई "स्वतंत्र सोच" वाली बातों से असहमत रहा है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने किसी राजनीतिक 'रेड लाइन' को पार किया हो।

शशि थरूर ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी सोच स्पष्ट करते हुए कहा, मेरी राय में लोकतंत्र में राजनीतिक मतभेद सीमाओं तक ही सीमित रहने चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति जैसे मुद्दों पर सभी दलों को एकजुट होकर भारत का पक्ष रखना चाहिए।

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