विश्वकर्मा पूजा 2025 इस साल 17 सितंबर को मनाई जाएगी। यह पर्व शिल्पकारों और कारीगरों के देवता विश्वकर्मा जी को समर्पित है। इस दिन कन्या संक्रांति और शुभ योग के साथ पूजा, स्नान-ध्यान और दान-पुण्य करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से सुख, समृद्धि और मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है।
नई दिल्ली: विश्वकर्मा पूजा 2025, 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से शिल्पकार और कारीगरों के देवता विश्वकर्मा जी को समर्पित है। पंचांग अनुसार, पुण्य काल सुबह 05:36 से 11:44 बजे तक और महा पुण्य काल 05:36 से 07:39 बजे तक रहेगा। इस दिन शिव और परिघ योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जिससे पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होने का विश्वास है। देशभर में श्रद्धालु इस अवसर पर स्नान, ध्यान, पूजा और दान-पुण्य के माध्यम से भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि
साल 2025 में विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन, 17 सितंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार सूर्य देव इस दिन देर रात 01 बजकर 54 मिनट पर सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। इस संक्रांति को उदया तिथि माना गया है और इसी दिन विश्वकर्मा जी की पूजा का विधान है।
कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार कन्या संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। वहीं महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस दौरान साधक स्नान, ध्यान और दान-पुण्य कर सकते हैं। महा पुण्य काल कुल 02 घंटे 03 मिनट का है, जो पूजा और अनुष्ठान के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि, यानी 17 सितंबर, 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होकर देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान साधक अपनी सुविधा अनुसार स्नान, ध्यान और पूजा कर सकते हैं। इस दिन कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। विशेष रूप से शिव योग और परिघ योग का संयोग साधकों के लिए शुभ है। इसके अलावा शिववास योग का निर्माण भी हो रहा है। इन योगों में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है।
विश्वकर्मा पूजा शिल्पकार, निर्माण कर्मियों और इंजीनियरिंग से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन अपने कार्यस्थल, मशीनरी और उपकरणों की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि इस दिन की गई पूजा से जीवन में सफलता, सौभाग्य और संपन्नता आती है। साथ ही कार्यों में बाधा कम होती है और मनोबल बढ़ता है।
पूजा विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। पूजा स्थल को साफ करके भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें। कलश स्थापना करके उसमें जल, आम्रपत्र और नारियल रखें। पूजा के दौरान धूप, दीप और फूलों का प्रयोग करें। विशेष मंत्रों और संकल्प के साथ विश्वकर्मा जी की अर्चना करें। इस दिन अपने निर्माण उपकरण और मशीनरी को भी साफ करके पूजा में शामिल करना चाहिए।
पंचांग और मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक रहेगा और निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इन मुहूर्तों में पूजा-अर्चना करने से साधकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
विश्वकर्मा पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ
विश्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने कार्यस्थलों पर एकत्र होकर सामूहिक पूजा करते हैं। बच्चों और युवाओं को श्रम, निर्माण और कला के महत्व की जानकारी दी जाती है। समाज में सहयोग, एकता और उत्साह का वातावरण बनता है।