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पंजाब में अकाली दल में विभाजन गहरा, ज्ञानी हरप्रीत सिंह बने नए अध्यक्ष, बादल की बढ़ीं मुश्किलें

पंजाब में अकाली दल में विभाजन गहरा, ज्ञानी हरप्रीत सिंह बने नए अध्यक्ष, बादल की बढ़ीं मुश्किलें

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के अलग हुए गुट ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अध्यक्ष चुना। यह कदम सुखबीर बादल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अकाल तख्त ने इस गुट का पुनर्गठन किया है।

Punjab: पंजाब की राजनीतिक दुनिया में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से अलग हुए गुट ने एक बड़ा फैसला लिया है। अमृतसर में हुई एक प्रतिनिधि सभा में तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को इस गुट का नया अध्यक्ष चुना गया है। इसके साथ ही सतवंत कौर को गुट की पंथिक परिषद का अध्यक्ष बनाया गया है। यह फैसला उस समिति ने लिया है, जिसे अकाल तख्त ने इस गुट के पुनर्गठन के लिए नियुक्त किया था।

अकाल तख्त का पुनर्गठन और तनखैया घोषित करने का विवाद

ज्ञानी हरप्रीत सिंह और उनके साथियों ने दिसंबर 2024 में शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल समेत कुछ अन्य नेताओं को अकाल तख्त द्वारा ‘तनखैया’ यानी धार्मिक कदाचार का दोषी घोषित किया था। यह फैसला पार्टी के अंदर गहरे राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों को दर्शाता है। बादल और अन्य नेताओं को इस दोषी ठहराए जाने के बाद अकाल तख्त ने अपने प्रतिनिधि मंडल के जरिये इस गुट का पुनर्गठन किया।

अकाल तख्त की समिति ने किया प्रतिनिधि सभा का आयोजन

अमृतसर के गुरुद्वारा बुर्ज अकाली फूल सिंह में अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने इस गुट की प्रतिनिधि सभा का आयोजन किया। इस सभा में गुट के अध्यक्ष पद के लिए ज्ञानी हरप्रीत सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया और उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया। वहीं पंथिक परिषद के अध्यक्ष पद के लिए सतवंत कौर का नाम प्रस्तावित कर उन्हें भी अध्यक्ष बनाया गया।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह का राजनीतिक और धार्मिक सफर

ज्ञानी हरप्रीत सिंह तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार रहे हैं। फरवरी में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने उन्हें जत्थेदारी से बर्खास्त कर दिया था। वे सिख धर्म के प्रमुख धार्मिक गुरुओं में से एक हैं और 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद से राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे हैं।

सतवंत कौर का राजनीतिक महत्व

सतवंत कौर, जो अकाली गुट की पंथिक परिषद की अध्यक्ष बनी हैं, अखिल भारतीय सिख छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष हैं। उनका परिवार भी सिख राजनीति और धार्मिक आंदोलनों से जुड़ा रहा है। उनकी पिता अमरीक सिंह, जो 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार में शहीद हुए, जरनैल सिंह भिंडरावाले के करीबी सहयोगी थे।

अकाल तख्त समिति में शामिल अन्य प्रमुख नेता

अकाल तख्त द्वारा नियुक्त इस पुनर्गठन समिति में विधायक मनप्रीत सिंह अयाली, इकबाल सिंह झुंडा, संता सिंह उम्मेदपुर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला और सतवंत कौर शामिल हैं। ये नेता शिअद से अलग हुए गुट की नई दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

पिछली घटनाएं और विवाद

2 दिसंबर 2024 को अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल के नेताओं को उनके शासनकाल के दौरान की गई गलतियों के लिए ‘दंड’ सुनाया था। इसके तहत सुखबीर बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया गया। इसके बाद पार्टी में गहरा राजनीतिक संकट पैदा हुआ। बादल को क्षमा मांगने के लिए अकाल तख्त के सामने पेश होने वाले कई विद्रोही नेताओं ने इस आदेश का समर्थन किया।

एसजीपीसी अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष के इस्तीफे

इस विवाद के बीच एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और पूर्व अध्यक्ष कृपाल सिंह बडूंगर ने अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन शिअद कार्यसमिति ने खुद का पैनल गठित किया और सदस्यता अभियान शुरू किया। इस कदम को अकाल तख्त के निर्देशों की अवहेलना माना गया।

सुखबीर बादल का पुनः पार्टी अध्यक्ष बनना

12 अप्रैल को सुखबीर बादल को फिर से शिअद का अध्यक्ष चुना गया। इसके बावजूद अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने मार्च में समानांतर सदस्यता अभियान चलाया। इसके अंतर्गत गुट ने प्रतिनिधि सत्र आयोजित किया और नए पदाधिकारियों का चुनाव किया।

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