साल 2025 में पूर्णिमा श्राद्ध 7 सितंबर को है, जिस दिन चंद्रग्रहण भी लगेगा। पितृ पूजन और तर्पण का सबसे शुभ समय सुबह 11:53 बजे से 12:44 बजे तक रहेगा। चंद्रग्रहण के सूतक काल के दौरान दान और मंत्र जाप शुभ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध और तर्पण वर्जित हैं।
पूर्णिमा श्राद्ध 2025: साल 2025 की भाद्रपद पूर्णिमा 7 सितंबर को पितृपक्ष के श्राद्ध के रूप में मनाई जाएगी। इसी दिन रात 9:58 बजे से चंद्रग्रहण लगेगा, जिसका सूतक 12:57 बजे से शुरू होगा। इस दिन पितृ पूजन और तर्पण का सबसे शुभ समय सुबह 11:53 बजे से 12:44 बजे तक है। सूतक काल के दौरान श्राद्ध वर्जित रहेगा, लेकिन दान और पितृ मंत्रों का जाप शुभ फलदायक माना जाता है।
पूर्णिमा श्राद्ध और चंद्रग्रहण का समय
7 सितंबर 2025 को रात्रि में चंद्रग्रहण लगेगा। ग्रहण की शुरूआत रात 9 बजकर 58 मिनट से होगी और यह देर रात 1 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। चंद्रग्रहण का सूतक काल इसके नौ घंटे पहले से प्रारंभ हो जाता है। इस वर्ष सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा। सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार का धार्मिक कार्य या पूजा करना वर्जित माना जाता है। इसलिए इस समय तक पितृ तर्पण और श्राद्ध करने से बचना चाहिए।
श्राद्ध करने का शुभ समय
धार्मिक गणना के अनुसार पूर्णिमा के दिन पितृ तर्पण और श्राद्ध करने का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस समय को कुतुप काल भी कहा जाता है। कुतुप काल में किए गए तर्पण और पितृ पूजा को अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसी अवधि में पितरों का तर्पण करने से उनके प्रति श्रद्धा और पुण्य की प्राप्ति होती है।
चंद्रग्रहण के समय पितृ कर्म
दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से चंद्रग्रहण का सूतक प्रारंभ होगा। इस दौरान श्राद्ध और तर्पण करना वर्जित है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय पितरों के निमित्त दान करना और पितृ मंत्रों का जप करना शुभ फल प्रदान करता है। इसलिए ग्रहण के दौरान भी दान और मंत्र जाप के जरिए पुण्य अर्जित किया जा सकता है।
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व
साल 2025 में भाद्रपद पूर्णिमा पर पितृपक्ष शुरू हो रहा है। पूर्णिमा तिथि को किए गए श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन सत्यनारायण व्रत, शिव पार्वती पूजा, चंद्रमा पूजा और मां लक्ष्मी पूजा भी करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए गए श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है। इस दौरान किए गए तर्पण और दान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूर्णिमा के दिन तर्पण करने से पहले सूतक और ग्रहण का समय अवश्य देखा जाना चाहिए।
तर्पण और मंत्र जाप
पूर्णिमा श्राद्ध के दिन दान और तर्पण के साथ पितृ मंत्रों का जप करना भी लाभकारी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे पितृ शांति के लिए आवश्यक बताया गया है। विशेषकर चंद्रग्रहण के समय मंत्र जाप करने से पितृ दोष और अन्य बाधाओं से मुक्ति का लाभ मिलता है।
साल 2025 की पूर्णिमा पर श्राद्ध करने के लिए यह आवश्यक है कि पितृ तर्पण, दान और मंत्र जाप शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाए। इस दिन चंद्रग्रहण और सूतक काल का ध्यान रखते हुए सभी धार्मिक कार्य किए जाएं। ऐसा करने से पितरों की पूजा और श्राद्ध कर्म सफल और फलदायी बनता है।