अगर आप पर्सनल लोन की ईएमआई को लेकर दबाव महसूस कर रहे हैं और मासिक किस्त को कम करना चाहते हैं, तो आपके लिए कुछ आसान और कारगर उपाय मौजूद हैं। सही प्लानिंग और वित्तीय रणनीति से न केवल EMI घटाई जा सकती है, बल्कि कुल ब्याज में भी बचत संभव है।
पर्सनल लोन आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में एक अहम वित्तीय साधन बन गया है। मेडिकल इमरजेंसी, शादी, शिक्षा या किसी अन्य आकस्मिक जरूरत के लिए यह लोन तुरंत मदद करता है। लेकिन इसकी एक बड़ी कीमत भी होती है भारी ब्याज दर और मासिक किस्तें यानी EMI का बोझ। ऐसे में यदि पर्सनल लोन की EMI आपकी जेब पर भारी पड़ रही है, तो परेशान न हों। इस लेख में हम आपको 5 ऐसे स्मार्ट उपाय बताएंगे जिनकी मदद से आप अपने लोन की EMI को कम कर सकते हैं और वित्तीय राहत पा सकते हैं।
बैलेंस ट्रांसफर: सस्ते ब्याज का फायदा उठाएं
बैलेंस ट्रांसफर पर्सनल लोन की EMI कम करने का सबसे प्रचलित और प्रभावी तरीका है। यदि आप किसी ऐसे बैंक या एनबीएफसी से पर्सनल लोन ले चुके हैं जो अधिक ब्याज दर वसूल रहा है, तो आप बकाया लोन को किसी कम ब्याज वाले संस्थान में ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे आपकी EMI घट सकती है और ब्याज पर भी बचत हो सकती है।
कैसे करें बैलेंस ट्रांसफर?
- पहले कम ब्याज दर वाले बैंक या एनबीएफसी की तलाश करें।
- वहां की शर्तें और प्रोसेसिंग फीस की तुलना करें।
- पुराने लोन से संबंधित प्री-क्लोजर शुल्क की जांच करें।
- नए बैंक में आवेदन देकर लोन ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू करें।
- ट्रांसफर पूरा होते ही नई EMI की गणना करें।
सावधानी: केवल ब्याज दर ही नहीं, सभी चार्जेस जैसे प्रोसेसिंग फीस, डॉक्युमेंट चार्ज आदि को जोड़कर कुल लागत का आकलन करें।
लोन की अवधि बढ़ाएं: मासिक बोझ में मिलेगी राहत
अगर EMI हर महीने आपकी आय का बड़ा हिस्सा खा रही है, तो आप बैंक से लोन की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं। इससे हर महीने की EMI घट जाएगी क्योंकि अब वह लंबी अवधि में बंटी होगी। यह विकल्प उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी आय स्थिर है लेकिन कैश फ्लो कम है।
उदाहरण: मान लीजिए आपने 5 साल के लिए 10 प्रतिशत ब्याज दर पर 5 लाख रुपये का लोन लिया है। आपकी EMI लगभग 10,624 रुपये होगी। यदि आप अवधि बढ़ाकर 7 साल कर देते हैं, तो EMI घटकर लगभग 8,074 रुपये हो सकती है।
नुकसान: लंबी अवधि का मतलब ज्यादा ब्याज देना होगा। इसलिए निर्णय सोच-समझकर लें।
प्री-पेमेंट करें: अतिरिक्त भुगतान से लोन पर पाएं कंट्रोल
यदि आपके पास बोनस, उपहार, निवेश से रिटर्न या अन्य कोई अतिरिक्त आय है, तो आप प्री-पेमेंट करके अपने लोन की बकाया राशि को घटा सकते हैं। इससे ब्याज का बोझ कम होगा और आपकी EMI में भी कमी आ सकती है या लोन जल्दी समाप्त हो सकता है।
बैंक क्या अनुमति देते हैं?
अधिकांश बैंक कुछ प्रारंभिक किश्तों के बाद प्री-पेमेंट की अनुमति देते हैं। कुछ बैंक इसके लिए शुल्क लेते हैं जबकि कुछ नहीं। इसलिए बैंक से शर्तें स्पष्ट रूप से जान लें।
प्री-पेमेंट का फायदा:
- कुल ब्याज में बचत
- जल्दी ऋण समाप्त
- भविष्य की वित्तीय योजना में सहजता
स्टेप-डाउन EMI प्लान: शुरुआत में ज्यादा, बाद में राहत
स्टेप-डाउन EMI एक ऐसा विकल्प है जिसमें शुरू के कुछ सालों तक EMI अधिक होती है लेकिन धीरे-धीरे कम होती जाती है। यह उन लोगों के लिए कारगर होता है जिनकी आय शुरुआत में अधिक होती है लेकिन भविष्य में कम होने की संभावना है।
कैसे काम करता है यह प्लान?
जैसे-जैसे आप मूलधन चुकाते जाते हैं, ब्याज की गणना घटती जाती है और EMI भी घटती है। इस योजना का लाभ HDFC, कोटक महिंद्रा, ICICI जैसे बैंक दे रहे हैं।
फायदे:
- लोन चुकाने की रणनीतिक सुविधा
- शुरुआती वर्षों में फास्ट रीपेमेंट
- भविष्य की खर्च योजनाओं में मदद
क्रेडिट स्कोर सुधारें: कम ब्याज पाएं
क्रेडिट स्कोर पर्सनल लोन की ब्याज दर तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है। यदि आपका स्कोर 750 से अधिक है, तो बैंक आपको कम ब्याज दर पर लोन देने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे में आप ब्याज दर घटाकर EMI कम कर सकते हैं।
क्रेडिट स्कोर कैसे बढ़ाएं?
- समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड भुगतान करें
- क्रेडिट लिमिट के भीतर खर्च करें
- अनावश्यक क्रेडिट कार्ड बंद करें
- पुरानी लोन हिस्ट्री बनाए रखें
नतीजा क्या मिलेगा?
बेहतर क्रेडिट स्कोर से कम ब्याज दर और अधिक लोन राशि की पात्रता प्राप्त होती है। इससे EMI स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है।
अन्य उपाय भी आजमा सकते हैं
- ईएमआई मोरेटोरियम: कुछ बैंक संकट के समय EMI टालने की सुविधा देते हैं।
- ऑटो-डेबिट और अलर्ट: समय पर भुगतान के लिए बैंक से अलर्ट या ऑटो कट की सुविधा लें।
- ईएमआई कैल्कुलेटर: EMI प्लान बनाने से पहले ऑनलाइन टूल्स का उपयोग करें।
- फाइनेंशियल कंसल्टिंग: यदि कर्ज बहुत अधिक है तो वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।