भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन से जुड़ी प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। नए नियमों के तहत अब बैंक, खासतौर पर किसानों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) से जुड़े ग्राहकों से सोना और चांदी को बतौर जमानत स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकेंगे। केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी कर सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि यदि कोई उधारकर्ता स्वेच्छा से सोना या चांदी को कोलेटरल के रूप में देना चाहता है, तो बैंक को उसे स्वीकार करना अनिवार्य होगा।
अब कोलेटरल फ्री लोन नियम नहीं बनेगा अड़चन
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसानों और MSME को बिना जमानत दिए लोन देने की मौजूदा व्यवस्था पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी, यह नई व्यवस्था उस स्थिति में लागू होगी जब उधारकर्ता अपनी मर्जी से सोना या चांदी गिरवी रखना चाहे। आरबीआई का कहना है कि यह कदम कोलेटरल-फ्री लोन की नीति का उल्लंघन नहीं है, बल्कि इससे उधारकर्ताओं को अपनी ओर से बेहतर विकल्प देने का अवसर मिलेगा।
किन बैंकों पर लागू होगा ये नया नियम
आरबीआई के नए निर्देश का दायरा भी स्पष्ट किया गया है। यह नियम देश के सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, स्मॉल फाइनेंस बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों पर लागू होगा। हालांकि, कोलेटरल-फ्री लोन की गाइडलाइन्स क्षेत्रीय ग्रामीण और सहकारी बैंकों पर पहले से ही लागू नहीं होतीं, लेकिन अगर वे भी सोना-चांदी को लेकर कोई प्रस्ताव स्वीकार करना चाहें, तो इसमें अब कोई रोक नहीं होगी।
डेटा डुप्लीकेशन और गलत रिपोर्टिंग बनी बड़ी चुनौती
राव ने यह भी कहा कि अभी देश में किसी भी उधारकर्ता की एक स्थायी, सुरक्षित और वेरिफाई की जा सकने वाली पहचान नहीं है, जिसकी वजह से बैंकिंग सिस्टम में एक ही व्यक्ति के कई रिकॉर्ड बन जाते हैं। इससे कई बार फर्जी लोन, क्रेडिट स्कोर में गड़बड़ी और गलत ऋण आकलन जैसी समस्याएं सामने आती हैं। यूनिक आइडेंटिफायर सिस्टम लागू होने से यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
यूनिफाइड सिस्टम की ओर बढ़ रहा है आरबीआई
आरबीआई की योजना है कि सभी वित्तीय संस्थानों को एक ऐसे साझा सिस्टम से जोड़ा जाए, जिससे हर बॉरोअर की एक यूनिक पहचान बने और वह पूरे सिस्टम में एक ही नाम और पहचान के साथ पहचाना जाए। इससे न केवल बैंकिंग प्रक्रियाएं तेज होंगी, बल्कि ऋण की पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
इस यूनिक बॉरोअर आइडेंटिफिकेशन की मदद से ग्राहक के लोन इतिहास, चुकौती की आदत और ऋण क्षमता का स्पष्ट डेटा हर बैंक के पास उपलब्ध रहेगा, जिससे क्रेडिट देने का फैसला ज्यादा सटीक और सुरक्षित बनेगा।
बैंकिंग सेक्टर के लिए भी फायदेमंद बदलाव
इस नियम से बैंकों के लिए भी लोन रिकवरी का रिस्क कुछ हद तक कम हो सकता है। सोना और चांदी जैसी संपत्तियां बैंक के लिए एक सुरक्षित कोलेटरल मानी जाती हैं क्योंकि इनमें मूल्य स्थिरता होती है और इनका बाजार में तुरंत लिक्विडेशन संभव होता है। इससे बैंकों को बिना अधिक दस्तावेजों या कानूनी प्रक्रियाओं के भी गारंटी मिल सकेगी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा सहारा
इस पहल के माध्यम से आरबीआई का लक्ष्य है कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके। छोटे किसान और कुटीर उद्योग से जुड़े लोग जिन्हें अक्सर बिना गारंटी लोन नहीं मिल पाता था, वे अब अपनी पारंपरिक संपत्ति यानी सोना-चांदी का उपयोग बैंकिंग फायदे उठाने के लिए कर सकेंगे।
नई व्यवस्था का पालन अनिवार्य होगा
आरबीआई ने यह भी कहा है कि यह नियम महज सुझाव नहीं है, बल्कि इसे सभी संबंधित बैंकों द्वारा लागू करना अनिवार्य होगा। यदि कोई बैंक इन निर्देशों का पालन नहीं करता है तो उस पर नियामकीय कार्रवाई भी की जा सकती है।