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रिफंड में नहीं लगेगा समय, इनकम टैक्स प्रोसेस अब होगा तेज और पारदर्शी नई तकनीक से

रिफंड में नहीं लगेगा समय, इनकम टैक्स प्रोसेस अब होगा तेज और पारदर्शी नई तकनीक से

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद टैक्सपेयर्स को रिफंड के लिए अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकार की योजना है कि रिफंड प्रक्रिया को पहले से अधिक तेज और कुशल बनाया जाए, ताकि टैक्सपेयर्स को समय पर उनका पैसा वापस मिल सके। 

Income Tax Refunds: आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लाखों टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब उन्हें अपने टैक्स रिफंड के लिए हफ्तों या महीनों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकार टैक्स रिफंड की प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए एक नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इस नई प्रणाली के तहत पैन और बैंक खाते का वेरिफिकेशन रियल टाइम में किया जाएगा, जिससे रिफंड सीधे और सुरक्षित तरीके से खाते में भेजा जा सकेगा।

इस पहल का नेतृत्व नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने किया है, जिसने हाल ही में पैन-बैंक लिंकिंग के लिए एक नई एपीआई सुविधा शुरू की है। इस सुविधा के जरिए अब पैन नंबर और बैंक खाता विवरण की पुष्टि तुरंत हो सकेगी। यह कदम न केवल टैक्सपेयर्स के लिए लाभकारी है, बल्कि सरकार की ई-गवर्नेंस और डिजिटलीकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

नई प्रणाली क्या है और कैसे काम करती है

NPCI द्वारा जारी की गई नई एपीआई प्रणाली इनकम टैक्स पोर्टल और बैंकों के कोर बैंकिंग सिस्टम को सीधे जोड़ती है। एपीआई यानी एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस एक सॉफ्टवेयर पुल की तरह काम करता है, जो दो डिजिटल प्रणालियों को आपस में जोड़कर डेटा के सुरक्षित आदान-प्रदान की सुविधा देता है।

इस एपीआई के जरिए आयकर विभाग अब टैक्सपेयर्स के पैन नंबर, बैंक खाता स्टेटस और खाताधारक के नाम की पुष्टि बैंकों के डेटाबेस से तुरंत कर सकेगा। पहले यह प्रक्रिया मैन्युअल थी और इसमें काफी समय लगता था। लेकिन अब यह काम कुछ ही मिनटों में पूरा हो सकेगा।

रिफंड प्रक्रिया में बदलाव का असर

अब तक टैक्सपेयर्स को आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद रिफंड प्राप्त होने में कई बार 10 से 15 कार्य दिवस या उससे अधिक समय लग जाता था। कई मामलों में रिफंड में देरी की मुख्य वजह बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन में हुई त्रुटि या जानकारी की असमानता होती थी।

नई एपीआई सुविधा से इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा। वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित और रियल टाइम हो जाएगी, जिससे गलतियों की संभावना बहुत कम रह जाएगी और रिफंड समय पर मिल पाएगा।

सरकार का दृष्टिकोण और योजना

सरकार का लक्ष्य केवल रिफंड प्रक्रिया को तेज करना नहीं है, बल्कि समूचे टैक्स प्रशासन को पारदर्शी और डिजिटल बनाना है। इसके तहत सरकार चाहती है कि पैन, आधार और बैंक खाता तीनों एक-दूसरे से जुड़े हों ताकि टैक्सपेयर्स की पहचान, बैंक डिटेल और रिटर्न प्रोसेसिंग के बीच कोई अंतर न रह जाए।

NPCI द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि यह एपीआई विशेष रूप से सरकारी विभागों के लिए तैयार की गई है और इसका उद्देश्य सरकारी लाभों, सब्सिडी और रिफंड को सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करना है।

बैंकों को करने होंगे सिस्टम अपडेट

नई व्यवस्था के क्रियान्वयन के लिए सभी बैंकों को अपने आईटी सिस्टम को अपडेट करना अनिवार्य होगा। NPCI ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे इस प्रणाली को प्राथमिकता के आधार पर अपनाएं और अपने कोर बैंकिंग सिस्टम को एपीआई से जोड़ें।

हालांकि, यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। साइबर सुरक्षा, डाटा गोपनीयता और सिस्टम इंटीग्रेशन जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। फिर भी यह एक दीर्घकालिक और अत्यंत लाभकारी कदम माना जा रहा है।

पैन और आधार को लेकर नई गाइडलाइन

इस नई प्रणाली से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि अब नए पैन कार्ड के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने स्पष्ट किया है कि 1 जुलाई 2025 से पैन के लिए आवेदन करने के लिए आधार नंबर आवश्यक होगा।

इसके अतिरिक्त, जिन लोगों के पास पहले से पैन और आधार दोनों हैं, उन्हें इन्हें लिंक कराना अनिवार्य होगा। सरकार ने इसके लिए अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तय की है। यदि निर्धारित समय तक यह लिंकिंग नहीं की जाती है, तो संबंधित पैन नंबर निष्क्रिय कर दिया जाएगा।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी मामलों के विशेषज्ञ उत्कर्ष भटनागर का कहना है कि NPCI की नई व्यवस्था से टैक्सपेयर्स के डाटा की प्रामाणिकता बढ़ेगी और फर्जीवाड़े की संभावनाएं कम होंगी। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि रिफंड उन्हीं खातों में जाए जो सही और पैन से जुड़े हुए हैं।

वे यह भी मानते हैं कि सरकार द्वारा डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने से न केवल ई-फाइलिंग का अनुभव बेहतर होगा, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व भी बढ़ेगा।

टैक्सपेयर्स को क्या लाभ मिलेगा

  • रिफंड जल्दी मिलेगा: रियल टाइम वेरिफिकेशन से रिफंड की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।
  • गलतियों की संभावना कम: ऑटोमेटेड प्रक्रिया से डाटा में मानव त्रुटियां नहीं होंगी।
  • सीधे खाते में ट्रांसफर: पैन और बैंक अकाउंट लिंक होने से सरकार सीधे रिफंड भेज सकेगी।
  • फर्जी खातों पर रोक: सिस्टम केवल उन्हीं खातों को मान्यता देगा जो वेरिफाइड हैं।
  • प्रक्रिया पारदर्शी: पूरा प्रोसेस पोर्टल पर ट्रैक किया जा सकेगा, जिससे विश्वसनीयता बढ़ेगी।

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