अनिल अंबानी की अगुवाई में चल रही रिलायंस पावर ने एक बड़ा ऐलान करते हुए ₹6,000 करोड़ की पूंजी जुटाने की योजना को हरी झंडी दे दी है। कंपनी ने 16 जुलाई को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में बताया कि उसके बोर्ड ने इस फंड जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस रकम को कंपनी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट यानी QIP और अन्य तरीकों से इकट्ठा करेगी।
कंपनी ने कहा है कि यह फंड इक्विटी शेयर्स, इक्विटी से जुड़ी प्रतिभूतियों या किसी अन्य पात्र साधनों के माध्यम से योग्य संस्थागत खरीदारों को पेश कर के जुटाया जाएगा। साथ ही, कंपनी फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) या इन सभी विकल्पों का मिश्रण भी अपना सकती है।
डिबेंचर के जरिए भी जुटाई जाएगी राशि
रिलायंस पावर की इस योजना में केवल QIP तक ही सीमित रहना नहीं है। कंपनी ने कहा है कि वह ₹3,000 करोड़ तक के सिक्योर या अनसिक्योर, रिडीमेबल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) भी जारी कर सकती है। यह डिबेंचर प्राइवेट प्लेसमेंट या किसी अन्य वैकल्पिक माध्यम से जारी किए जाएंगे।
कंपनी के इस कदम से यह साफ है कि वह अपने कारोबारी संचालन और विस्तार योजनाओं के लिए पूंजी आधार को मजबूत करना चाहती है।
19 जुलाई को जारी होंगे तिमाही नतीजे
रिलायंस पावर ने एक अन्य जानकारी में बताया है कि कंपनी की बोर्ड बैठक शनिवार, 19 जुलाई 2025 को आयोजित होगी। इस बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही यानी जून तिमाही के स्टैंडअलोन और कंसोलिडेटेड अनऑडिटेड वित्तीय नतीजों को मंजूरी दी जाएगी।
बाजार की नजर इस बैठक पर टिकी हुई है, क्योंकि पिछले कुछ समय में रिलायंस पावर के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई है।
शेयर ने दिया जबरदस्त रिटर्न, बना मल्टीबैगर स्टॉक
रिलायंस पावर का शेयर बीते एक साल में निवेशकों को शानदार रिटर्न दे चुका है। बुधवार, 16 जुलाई को कंपनी का शेयर 2.39 प्रतिशत की बढ़त के साथ ₹66.06 पर बंद हुआ। पिछले तीन महीनों में इस शेयर ने 59 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी दिखाई है।
अगर एक साल की बात करें तो यह शेयर 134 प्रतिशत का रिटर्न दे चुका है। वहीं दो सालों में इसने 337 प्रतिशत, तीन सालों में 491 प्रतिशत और पांच सालों में चौंकाने वाला 1907 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
ऐसे आंकड़ों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि रिलायंस पावर एक मल्टीबैगर स्टॉक बन चुका है।
अनिल अंबानी के नेतृत्व में बदल रही कंपनी की तस्वीर
कभी दिवालिया होने की कगार पर खड़ी दिख रही रिलायंस पावर अब एक बार फिर से उठ खड़ी होती नजर आ रही है। अनिल अंबानी के नेतृत्व में कंपनी नए सिरे से खुद को स्थापित करने की कोशिश में लगी हुई है।
हाल ही में कंपनी की ओर से की गई ऋण पुनर्गठन योजनाएं, रणनीतिक निवेश की योजना और लगातार तिमाही आधार पर बेहतर होते प्रदर्शन ने इसे फिर से निवेशकों की नजर में ला खड़ा किया है।
ऊर्जा सेक्टर में फिर से दिख रहा भरोसा
रिलायंस पावर देश की प्रमुख निजी बिजली उत्पादन कंपनियों में शामिल है। कंपनी के पास देश के कई हिस्सों में थर्मल और रिन्युएबल पावर प्रोजेक्ट्स हैं। पिछले कुछ वर्षों में कंपनी की कुछ परियोजनाओं में बाधाएं आई थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे संचालन में स्थिरता देखने को मिल रही है।
फंड जुटाने की योजना के जरिए कंपनी अपने अधूरे प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ा सकती है या पुराने कर्ज का निपटारा कर सकती है।
कंपनी के शेयरों में बढ़ी बाजार की दिलचस्पी
रिलायंस पावर के शेयरों में बीते कुछ महीनों में लगातार निवेशकों की दिलचस्पी देखने को मिली है। इसके पीछे कंपनी के फंडामेंटल्स में सुधार, कर्ज का बोझ घटाना और संभावित फंडिंग प्लान्स जैसे कारण रहे हैं।
अब जबकि कंपनी ने औपचारिक तौर पर ₹6,000 करोड़ तक जुटाने का ऐलान कर दिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि QIBs और बाजार इस प्रस्ताव पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
Q1 नतीजों पर टिकी निगाहें
अब सबकी नजर 19 जुलाई को होने वाली बोर्ड बैठक और जून तिमाही के नतीजों पर टिकी है। अगर कंपनी इन नतीजों में भी दमदार प्रदर्शन करती है, तो यह शेयर की मौजूदा रफ्तार को और मजबूती दे सकता है।
शेयर बाजार में रिलायंस पावर एक बार फिर सुर्खियों में है और इसकी गतिविधियों पर नजर रखना निवेशकों और विश्लेषकों के लिए जरूरी हो गया है।