Pune

दो महीने में घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम? जानिए सरकार की प्लानिंग

दो महीने में घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम? जानिए सरकार की प्लानिंग

देशभर में महंगाई से जूझ रही जनता के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द ही कटौती हो सकती है। यह संकेत खुद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिए हैं। उन्होंने हाल ही में एक बयान में कहा कि अगर कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल के दाम वैश्विक बाजार में स्थिर बने रहते हैं, तो भारत सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती पर विचार कर सकती है।

बढ़ती मांग के बावजूद पर्याप्त आपूर्ति

मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद भारत में सप्लाई को लेकर कोई संकट नहीं है। भारत सरकार और तेल कंपनियां इस बात का पूरा ध्यान रख रही हैं कि देश में ईंधन की आपूर्ति बिना रुकावट जारी रहे।

मंत्री ने रखी शर्त

हरदीप पुरी ने कहा कि सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल के दाम तभी घटाए जाएंगे जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें 2 से 3 महीने तक एक स्थिर स्तर पर बनी रहें। उनके अनुसार, अगर कच्चे तेल का भाव निचले स्तर पर स्थिर रहता है तो उपभोक्ताओं को सीधे इसका फायदा दिया जा सकता है।

तेल कंपनियों के मार्जिन में सुधार

हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (OMCs) की तिमाही नतीजों में सुधार देखा गया है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों को अब बिक्री पर सकारात्मक मार्जिन मिल रहा है। पिछले वित्त वर्ष में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण इन कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन अब स्थिति संतुलित होती नजर आ रही है।

सरकारी नियंत्रण में दाम तय करने की प्रक्रिया

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भले ही हर रोज अपडेट होती हैं, लेकिन इनकी वास्तविक कीमतों को नियंत्रित करने का काफी हद तक फैसला सरकार के हाथ में होता है। तेल कंपनियां इंटरनेशनल मार्केट के अनुसार कीमतें तय करती हैं, लेकिन कई बार सरकार उनसे रिवाइज न करने का आग्रह करती है, ताकि आम जनता पर बोझ न बढ़े।

2022 में हुई थी आखिरी बड़ी कटौती

गौरतलब है कि मई 2022 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर पेट्रोल और डीजल के दामों में राहत दी थी। उसके बाद से अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। पिछले कुछ महीनों से इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना हुआ था, लेकिन अब इनके स्थिर होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

आयात पर निर्भरता बनी चुनौती

भारत अपनी पेट्रोलियम जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा आयात के जरिए पूरा करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई कोई भी तेजी या गिरावट सीधे घरेलू बाजार को प्रभावित करती है। यही वजह है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय हालात को देखकर ही कोई ठोस फैसला लेती है।

सरकार कर रही है हालात का आकलन

पेट्रोलियम मंत्री ने यह भी बताया कि मंत्रालय की टीमें लगातार वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर नजर रख रही हैं। वे तेल उत्पादक देशों के उत्पादन, खपत और आपूर्ति की जानकारी के आधार पर हर सप्ताह रिपोर्ट तैयार करती हैं। इसी डेटा के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

राहत की उम्मीद लेकिन फैसला जल्द नहीं

हरदीप पुरी के बयान से यह तो साफ हो गया है कि सरकार कीमतों को लेकर गंभीर है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि जल्दबाज़ी में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। सरकार क्रूड की वैश्विक कीमतों का अगले 2 से 3 महीने तक का ट्रेंड देखना चाहती है। इसके बाद ही कीमतों में किसी बदलाव पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

आम लोगों की निगाहें फैसले पर टिकी

देश के कई हिस्सों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार बिक रहा है, जबकि डीजल की कीमतें भी 90 रुपये के आसपास हैं। ऐसे में अगर कीमतों में कटौती होती है, तो यह सीधे तौर पर ट्रांसपोर्टेशन से लेकर महंगाई तक पर असर डालेगी। इसलिए जनता की नजर अब सरकार की अगली घोषणा पर टिकी हुई है।

Leave a comment