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शहरी बच्चों में तंबाकू की लत, 60+ आयु के 85% लोगो को नकली दांतो की जरूरत

शहरी बच्चों में तंबाकू की लत, 60+ आयु के 85% लोगो को नकली दांतो की जरूरत

AIIMS-भोपाल के शोधकर्ताओं ने मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर ओरल हेल्थ सर्वे किया। इसमें खुलासा हुआ कि शहरी क्षेत्रों में हर 15 में से 1 बच्चा तंबाकू का सेवन करता है और 60 साल से अधिक उम्र के 85% लोगों को नकली दांतों की जरूरत है। यह डेटा राज्य की स्वास्थ्य नीतियों के लिए अहम साबित होगा।

भोपाल: मध्य प्रदेश के 41 जिलों में 48,000 से अधिक लोगों पर लोकल ओरल हेल्थ सर्वे किया। सर्वे में सामने आया कि शहरी क्षेत्रों में 12 साल के लगभग 15 में से 1 बच्चा तंबाकू का सेवन करता है, जबकि 60 साल से अधिक उम्र के अधिकांश लोगों को नकली दांतों की आवश्यकता है। यह सर्वे 2002 के बाद राज्य में पहला WHO मानकों पर आधारित डेटा बैंक है, जो जिलेवार ओरल हेल्थ स्थिति, बीमारी और स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में स्थानीय प्रशासन और नीति निर्माताओं की मदद करेगा।

बच्चों में तंबाकू सेवन की बढ़ती चिंता

डॉ. अभिनव सिंह, प्रमुख शोधकर्ता AIIMS-भोपाल, ने बताया कि यह आंकड़ा स्वास्थ्य के लिए बेहद चिंताजनक है। 'तंबाकू का सेवन न केवल दांतों और मसूड़ों के विकास को प्रभावित करता है, बल्कि ओरल कैंसर और अन्य गंभीर रोगों का जोखिम भी बढ़ाता है। बच्चों में यह आदत लंबे समय तक उनके जीवन को प्रभावित कर सकती है।'

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में तंबाकू की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए स्कूलों और परिवारों में जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है। साथ ही, सरकारी स्तर पर कड़े नियम और मॉनिटरिंग भी जरूरी है।

बुजुर्गों में दांतों की बढ़ती समस्या

सर्वे के अनुसार, 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों में लगभग 85% को नकली दांतों की जरूरत है, जबकि कुछ जिलों में यह आंकड़ा 100% तक पहुंच गया। डॉ. सिंह ने बताया कि भारत में पहली बार मध्य प्रदेश के लिए WHO के मानकों पर आधारित ओरल हेल्थ डेटा बैंक बनाया गया है। इस डेटा से जिलेवार ओरल हेल्थ स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकारी सेवाओं की जानकारी जुटाई जाएगी।

यह आंकड़ा राज्य में नीति और योजना बनाने में मदद करेगा। इससे यह पता चलेगा कि किन क्षेत्रों में ओरल हेल्थ सेवाओं की अधिक जरूरत है और किस प्रकार के उपाय किए जाने चाहिए।

सर्वे में नई तकनीक और जरूरी जांच

सर्वे के लिए 131 डेंटल सर्जनों को विशेष ट्रेनिंग दी गई। सर्वे की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए GPS वाले मोबाइल ऐप का उपयोग किया गया, जिससे टीम के लोकेशन और सर्वे का वास्तविक समय रिकॉर्ड सुनिश्चित हुआ।

डेटा एंट्री और विश्लेषण के लिए खास सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया, ताकि आंकड़े पूरी तरह से सही और विश्वसनीय हों। यह सर्वे 2002 में हुए आखिरी राष्ट्रीय स्तर के ओरल हेल्थ सर्वे से काफी बड़ा और व्यापक था। उस समय मध्य प्रदेश के सिर्फ तीन जिले शामिल थे और लगभग 2500 लोगों का आंकलन किया गया था।

ओरल हेल्थ सुधार के लिए नई नीतियाँ

सर्वे से यह स्पष्ट हुआ है कि मध्य प्रदेश में ओरल हेल्थ सुधार की सख्त जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में तंबाकू की आदत रोकने के लिए स्कूलों और स्थानीय समुदायों में जागरूकता अभियान चलाने होंगे।

साथ ही, बुजुर्गों के लिए सस्ती और प्रभावी डेंटल सेवाएं उपलब्ध कराना भी आवश्यक है। डॉ. सिंह ने कहा, 'हमारा लक्ष्य केवल आंकड़े इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि इन आंकड़ों के आधार पर स्वास्थ्य नीति और योजना बनाना है, जिससे राज्य में ओरल हेल्थ में वास्तविक सुधार हो सके।'

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