Columbus

संविधान संशोधन विधेयक 2025 पर हरीश साल्वे की दो टूक: कहा- 'जेल से मंत्री पद संभालना लोकतंत्र के खिलाफ'

संविधान संशोधन विधेयक 2025 पर हरीश साल्वे की दो टूक: कहा- 'जेल से मंत्री पद संभालना लोकतंत्र के खिलाफ'

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें केवल इतना प्रावधान है कि कोई भी नेता जेल में रहते हुए सचिवालय नहीं चला सकेगा।

नई दिल्ली: भारत में राजनीति और कानून को लेकर एक बड़ा विमर्श तब छिड़ा जब संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 संसद में पेश किया गया। इस विधेयक के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री यदि गंभीर अपराधों में दोषी पाए जाने के बाद लगातार 30 दिनों तक जेल में रहते हैं, तो 31वें दिन उनकी कुर्सी अपने आप चली जाएगी।

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) ने इस विधेयक का जोरदार समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल अस्वीकार्य है कि कोई नेता जेल की कोठरी से देश या राज्य का प्रशासन चलाए।

हरीश साल्वे का संदेश: लोकतंत्र का मज़ाक नहीं बनना चाहिए

हरीश साल्वे ने अपने बयान में कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि हमें इस तरह का कानून बनाने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा, अगर कोई नेता जेल में है, तो उसे वहां रहना चाहिए। यह अधिकार कैसे हो सकता है कि जेल से बैठकर सचिवालय चलाया जाए? यह सोच ही हमारे लोकतंत्र के साथ विश्वासघात जैसी है।

साल्वे ने यह भी कहा कि असली समस्या यह है कि कई भारतीय राजनेता खुद को “विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग” समझते हैं। यही वजह है कि ऐसे विधेयक की आवश्यकता पड़ी।

हवाला डायरी मामला: साल्वे ने दिया ऐतिहासिक उदाहरण

हरीश साल्वे ने 1991 के हवाला डायरी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय जिन नेताओं पर आरोप लगे थे, उन्होंने तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बताया कि: किसी भी नेता को गिरफ्तार नहीं किया गया। फिर भी जिनके नाम सामने आए, उन्होंने खुद को सार्वजनिक जीवन से अलग कर लिया।

उस समय विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी इस्तीफा दिया था और कहा था कि जब तक वह अपना नाम साफ नहीं कर लेते, वे सार्वजनिक जीवन में वापसी नहीं करेंगे। साल्वे के अनुसार, आज का दौर इससे बिल्कुल अलग है, जहां कई राजनेता जेल में रहते हुए भी खुद को सत्ता में बनाए रखना चाहते हैं।

जेल से मंत्री पद संभालना अब नामुमकिन होगा - हरीश साल्वे

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक का मूल उद्देश्य यही है कि कोई भी मंत्री जेल से अपना पद नहीं संभाल पाए। साल्वे ने स्पष्ट किया कि इस कानून से किसी नेता को “अयोग्य” घोषित नहीं किया जाएगा, बल्कि केवल उन्हें जेल से दफ्तर चलाने से रोका जाएगा। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई नेता अदालत से निर्दोष साबित होता है, तो वह दोबारा राजनीतिक जीवन में लौट सकता है। लेकिन जेल की कोठरी से शासन करना अब संभव नहीं होगा।

बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके अनुसार, यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध में दोषी पाए जाने के बाद लगातार 30 दिन जेल में रहता है, तो 31वें दिन उसकी कुर्सी अपने आप चली जाएगी। यह प्रावधान पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले गंभीर अपराधों के मामलों में लागू होगा।

विधेयक को अब संसद की एक संयुक्त समिति (Joint Committee) के पास भेजा गया है। इस समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। यह विधेयक केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के लिए भी एक मिसाल साबित हो सकता है। कई देशों में नेताओं पर आरोप लगते हैं, लेकिन बहुत कम मामलों में ऐसे स्पष्ट कानूनी प्रावधान हैं जो जेल से शासन करने की संभावना को रोक सकें।

Leave a comment