SpaceX ने 28 जून 2025 को दो फाल्कन 9 लॉन्च से 53 स्टारलिंक सैटेलाइट्स तैनात किए, जिससे कुल संख्या 7,900 पार हुई और LEO इंटरनेट नेटवर्क में नया कीर्तिमान बना।
SpaceX: स्पेस जगत की दिग्गज कंपनी SpaceX ने एक बार फिर अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा मनवाया है। 28 जून, 2025 को कंपनी ने दो फाल्कन 9 रॉकेटों की मदद से कुल 53 स्टारलिंक उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किए। इन सफल प्रक्षेपणों के साथ ही स्पेसएक्स का स्टारलिंक नेटवर्क अब 7,900 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट्स तक पहुँच गया है, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा LEO ब्रॉडबैंड नेटवर्क बनाता है।
दो लोकेशन, दो लॉन्च, एक मिशन
पहला रॉकेट फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से सुबह 12:26 बजे (EDT) लॉन्च किया गया, जबकि दूसरा रॉकेट दोपहर 1:13 बजे कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से प्रक्षेपित हुआ। ये दोनों मिशन स्पेसएक्स के स्टारलिंक ग्रुप 10-34 और ग्रुप 15-7 प्रोजेक्ट्स का हिस्सा थे।
सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया बेहद सटीक और समयबद्ध रही। प्रक्षेपण के केवल 9 मिनट बाद ही रॉकेटों ने ऑर्बिट में प्रवेश किया और करीब 1 घंटे में उपग्रहों की सफल तैनाती कर दी गई।
बूस्टर लैंडिंग: फिर साबित हुई SpaceX की महारत
इन दोनों मिशनों में प्रयोग हुए फाल्कन 9 रॉकेटों के पहले चरण (बूस्टर) को सफलतापूर्वक रीयूज़ किया गया।
- B1092 नामक बूस्टर ने अपने पांचवें मिशन को पूरा करते हुए 'A Shortfall of Gravitas' ड्रोनशिप पर सफल लैंडिंग की।
- वहीं, B1088 ने 'Of Course I Still Love You' नामक ड्रोनशिप पर प्रशांत महासागर में अपनी आठवीं सफल वापसी दर्ज करवाई।
मौसम की चुनौती भी पार
फ्लोरिडा लॉन्च से पहले मौसम विभाग की चेतावनी के चलते थोड़ी देरी जरूर हुई, लेकिन अंततः लॉन्च के समय 10 मील की स्पष्टता और आदर्श मौसम परिस्थितियाँ बनीं, जिसने मिशन को सफलता की ओर अग्रसर किया।
विशेषज्ञों का आकलन: नेटवर्क का विस्तार ऐतिहासिक
अंतरिक्ष विश्लेषक जोनाथन मैकडॉवेल के मुताबिक,
- सुबह के मिशन में 27 उपग्रह
- और दोपहर के मिशन में 26 उपग्रह तैनात किए गए।
इससे स्पेसएक्स के स्टारलिंक नेटवर्क की सक्रिय इकाइयों की संख्या बढ़कर 7,900 से अधिक हो गई है। यह LEO कक्षा में अब तक का सबसे विशाल इंटरनेट-सेटेलाइट नेटवर्क है।
साल 2025 में अब तक की उपलब्धियां
सिर्फ जून 2025 तक ही स्पेसएक्स ने:
- 42 फाल्कन 9 मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए।
- जिनमें से 28 मिशन स्टारलिंक सैटेलाइट्स के लिए थे।
- वैंडेनबर्ग से किया गया एक और लॉन्च (बूस्टर B1081) पहले ही 12 जून तक 7,600 से अधिक उपग्रह तैनात कर चुका था।
क्यों है स्टारलिंक का ये विस्तार अहम?
स्टारलिंक का लक्ष्य है – दुनिया के हर कोने में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुँचाना, विशेषकर उन इलाकों में जहां पारंपरिक इंटरनेट सेवा या तो मौजूद नहीं या बेहद कमजोर है।
इस तेज़ी से हो रहे नेटवर्क विस्तार के फायदे:
- दूरदराज़ ग्रामीण क्षेत्रों को इंटरनेट से जोड़ना
- हवाई सेवाओं और समुद्री यातायात के लिए कनेक्टिविटी
- प्राकृतिक आपदाओं के समय रेस्क्यू ऑपरेशन्स में रीयल-टाइम कम्युनिकेशन
- अंतर्राष्ट्रीय सैन्य और रक्षा नेटवर्क्स में सहयोग
अगला लक्ष्य: 12,000+ सैटेलाइट्स का मेगानेटवर्क
SpaceX का अगला लक्ष्य है – 12,000 से अधिक स्टारलिंक उपग्रहों का निर्माण और तैनाती, जिससे पूरी पृथ्वी को एक ग्लोबल डिजिटल जाल में समेटा जा सके। कंपनी इसके लिए Starlink V2 Mini और Starship जैसे अत्याधुनिक तकनीकों पर भी काम कर रही है, जिनसे एक ही लॉन्च में सैकड़ों उपग्रह भेजे जा सकेंगे।