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H-2A रॉकेट लॉन्च: जापान ने GOSAT-GW उपग्रह के साथ पर्यावरण सुरक्षा को दी नई दिशा

H-2A रॉकेट लॉन्च: जापान ने GOSAT-GW उपग्रह के साथ पर्यावरण सुरक्षा को दी नई दिशा

GOSAT-GW उपग्रह के साथ जापान ने H-2A रॉकेट के अंतिम मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर, जलवायु और समुद्री निगरानी में नया अध्याय शुरू किया।

H-2A: जापान ने जलवायु परिवर्तन और समुद्री पर्यावरण पर नजर रखने के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक छलांग लगाई है। 28 जून 2025 की रात, जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA (Japan Aerospace Exploration Agency) ने अपने प्रतिष्ठित H-2A रॉकेट का आखिरी और 50वां मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया। इस लॉन्च में ग्रीनहाउस गैसों और महासागर तापमान की निगरानी के लिए बनाया गया GOSAT-GW (Greenhouse Gases Observing Satellite - Greenhouse gases and Water cycle) उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजा गया।

यह ऐतिहासिक प्रक्षेपण जापान के तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से रात 10:03 बजे (भारतीय समयानुसार) किया गया। इस मिशन के साथ ही H-2A रॉकेट की सफल यात्रा पर विराम लग गया, जिसने दो दशकों से भी अधिक समय तक जापान की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई ऊंचाई दी।

GOSAT-GW: दोहरे उद्देश्य वाला आधुनिक उपग्रह

GOSAT-GW उपग्रह को विशेष रूप से दो प्रमुख उद्देश्यों के लिए डिजाइन किया गया है:

1. ग्रीनहाउस गैसों की सटीक निगरानी

उपग्रह में लगा ग्रीनहाउस गैस ऑब्जर्वेशन सेंसर (TANSO) पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), मीथेन (CH₄) जैसे गैसों की गतिविधियों को ट्रैक करेगा। यह डेटा ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के उपायों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।

2. जल चक्र और महासागर तापमान पर नजर

इसमें लगे एडवांस्ड माइक्रोवेव रेडियोमीटर (AMSR) नामक दूसरा उपकरण समुद्र की सतह के तापमान, वर्षा, समुद्री बर्फ और आर्द्रता जैसी चीजों का निरीक्षण करेगा। इससे जलवायु चक्र में आ रहे बदलावों को समझने में मदद मिलेगी।

GOSAT-GW: IBUKI और SHIZUKU का अगला कदम

GOSAT-GW उपग्रह, 2009 में लॉन्च किए गए GOSAT-1 (जिसे IBUKI कहा गया) और 2012 में लॉन्च किए गए GCOM-W1 (SHIZUKU) की अगली पीढ़ी है। ये उपग्रह पहले से ही पृथ्वी के वातावरण और जलवायु से जुड़े अहम आंकड़े जुटा चुके हैं। GOSAT-GW उन्हीं प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए उच्च क्षमता और उन्नत सेंसर के साथ पृथ्वी की निगरानी करेगा।

H-2A रॉकेट की विदाई, H3 रॉकेट के लिए रास्ता तैयार

JAXA ने पहली बार 2001 में H-2A रॉकेट को लॉन्च किया था। इसके बाद इस रॉकेट ने जापान की स्पेस तकनीक को मजबूत किया और विभिन्न प्रकार के उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाया। 50 में से 49 सफल मिशनों के साथ इसकी सफलता दर लगभग 98% रही, जो वैश्विक मानकों पर एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

अब JAXA इस रॉकेट को रिटायर कर रहा है ताकि उसकी जगह नया और अधिक किफायती H3 रॉकेट ले सके। H3 रॉकेट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह कम लागत में बेहतर प्रदर्शन दे सके और जापान के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बनाए रखे।

जलवायु परिवर्तन की दिशा में अहम कदम

आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रही है, तब GOSAT-GW जैसा उपग्रह इंसानों को पर्यावरण पर निगरानी रखने में एक नई दिशा देगा। उपग्रह से मिलने वाले आंकड़े दुनिया भर के वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और जलवायु विशेषज्ञों को निर्णय लेने में मदद करेंगे।

इस मिशन के तहत यह भी देखा जाएगा कि महासागर के तापमान में बदलाव, वर्षा चक्र और ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा एक-दूसरे को कैसे प्रभावित कर रही है। इससे न केवल वैज्ञानिक शोध को गति मिलेगी, बल्कि जलवायु नीतियों को भी मजबूती मिलेगी।

जापान की भविष्य की योजनाएं

H-2A के युग को समाप्त कर अब JAXA की नजरें H3 रॉकेट और चंद्रमा मिशनों पर हैं। साथ ही, जापान यह सुनिश्चित कर रहा है कि अंतरिक्ष से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग पृथ्वी के संरक्षण में किया जाए।

GOSAT-GW जैसे मिशन न केवल तकनीकी श्रेष्ठता दिखाते हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित करते हैं कि जापान पर्यावरण के प्रति अपनी वैश्विक जिम्मेदारी निभाने में अग्रणी बना रहना चाहता है।

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