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सरकार बनाएगी एकीकृत ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, 12 लाख करोड़ निवेश की तैयारी! जानिए सरकार पूरा मास्टर प्लान

सरकार बनाएगी एकीकृत ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, 12 लाख करोड़ निवेश की तैयारी! जानिए सरकार पूरा मास्टर प्लान

सरकार परिवहन के विभिन्न क्षेत्रों राजमार्ग, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाह के समन्वय के लिए एकीकृत ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी बनाने जा रही है। इस पहल के तहत अगले दशक में 12 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। सागरमाला 2.0 के जरिए सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी और हरित तकनीकों को भी बढ़ावा देगी।

Port-led Industrialization: भारत सरकार परिवहन क्षेत्र में समग्र योजना और तेजी से विकास के लिए एक एकीकृत परिवहन योजना प्राधिकरण (Unified Transport Authority) स्थापित करने की तैयारी में है। इसका उद्देश्य राजमार्ग, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाह मंत्रालयों के बीच बेहतर तालमेल और गलियारा-आधारित विकास को बढ़ावा देना है। यह पहल सागरमाला 2.0 परियोजना के तहत अगले दशक में 12 लाख करोड़ रुपये के निवेश को प्रोत्साहित करेगी, जिसमें 40,000 करोड़ रुपये का बजट समर्थन शामिल होगा। सरकार नए निवेश मॉडल जैसे सह-निवेश और हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर भी काम कर रही है, ताकि भारत विश्व के शीर्ष पोर्ट इकोसिस्टम में शामिल हो सके।

बेहतर समन्वय से तेज होगी विकास योजनाएं

इंडिया मैरीटाइम वीक के दौरान बंदरगाह मंत्रालय में संयुक्त सचिव आर. लक्ष्मणन ने बताया कि सरकार एक ऐसे ढांचे पर काम कर रही है, जिससे विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय बढ़े और लंबी अवधि की योजनाएं बन सकें। उन्होंने कहा कि “अगले दशक के लिए एक कनेक्टिविटी योजना दस्तावेज तैयार किया गया है। इसके अलावा सरकार एकीकृत परिवहन योजना प्राधिकरण की स्थापना की प्रक्रिया में है। इससे वर्तमान व्यवस्था एक मजबूत संस्थागत ढांचे में बदलेगी और परिवहन के सभी माध्यमों में दीर्घकालिक योजना बन सकेगी।”

लक्ष्मणन ने यह भी बताया कि अन्य देशों ने इस तरह के मॉडल को अपनाकर बेहतर नतीजे हासिल किए हैं। इसी दिशा में भारत भी अब कदम बढ़ा रहा है, ताकि देश में परिवहन नेटवर्क को और अधिक कुशल बनाया जा सके।

सागरमाला 2.0 से बंदरगाह विकास को नई दिशा

सरकार की यह पहल सागरमाला 2.0 योजना से भी जुड़ी है, जिसके तहत अगले दशक में 12 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। यह योजना देश के बंदरगाहों को केवल व्यापारिक केंद्र नहीं, बल्कि औद्योगिक विकास के हब में बदलने की दिशा में काम करेगी।

सागरमाला 2.0 के तहत सरकार नई तकनीकों, हरित ऊर्जा और पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं पर फोकस करेगी। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) का प्रावधान भी किया जा रहा है। इससे निजी निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा और देश में लॉजिस्टिक्स सेक्टर को नई गति मिलेगी।

डीपी वर्ल्ड ने बताया भारत के लिए बड़ा अवसर

दुबई की ग्लोबल पोर्ट कंपनी डीपी वर्ल्ड ने कहा है कि बंदरगाह आधारित औद्योगिकीकरण से भारत को वही लाभ मिल सकता है, जैसा कि पश्चिम एशिया ने पाया है। कंपनी के उत्तरी अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप के सीईओ और प्रबंध निदेशक रिज़वान सूमर ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि “जब हमने दुबई में जेबेल अली पोर्ट की शुरुआत की थी, तब हमारा ध्यान सिर्फ ट्रांसशिपमेंट पर था। लेकिन जल्द ही हमें समझ में आया कि असली लाभ तभी मिलेगा जब हम उद्योगों को भी जोड़ेंगे। इसके बाद हमने जेबेल अली फ्री जोन बनाया।”

उन्होंने बताया कि बीते 25 वर्षों में इस फ्री जोन में 11,000 से अधिक कंपनियां आईं और आज जेबेल अली पोर्ट व फ्री जोन का योगदान दुबई के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 40 प्रतिशत से अधिक है। सूमर ने कहा कि भारत भी अगर इसी तरह बंदरगाहों को औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करे, तो आने वाले वर्षों में यह देश की अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व गति दे सकता है।

अदाणी पोर्ट्स भी बना रहा औद्योगिक क्लस्टर

भारत की निजी बंदरगाह क्षेत्र की अग्रणी कंपनी अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (APSEZ) भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अश्विनी गुप्ता ने कहा कि भारत अब वैश्विक स्तर पर एक मजबूत पोर्ट इकोसिस्टम बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने बताया कि अदाणी पोर्ट्स देश के विभिन्न हिस्सों में औद्योगिक क्लस्टर और विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित कर रहा है। इससे न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

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