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ट्रंप की नई चाल! ट्रेड डील से पहले भारत समेत BRICS देशों पर 10% टैरिफ का ऐलान

ट्रंप की नई चाल! ट्रेड डील से पहले भारत समेत BRICS देशों पर 10% टैरिफ का ऐलान

मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत कोई भी व्यापार समझौता समयसीमा के दबाव में नहीं करता, और उसे केवल तब ही मंजूरी देगा जब वह राष्ट्रीय हितों के अनुरूप और पूरी तरह संतुलित हो।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच एक मजबूत व्यापार समझौता जल्द ही पूरा हो सकता है और यह अब अंतिम चरण में है। ट्रंप ने इस बात की भी पुष्टि की कि उनके प्रशासन ने कई देशों को आयात पर शुल्क को लेकर आधिकारिक चिट्ठियां भेजनी शुरू कर दी हैं।

ट्रंप ने कहा, “हमने ब्रिटेन के साथ डील की है, चीन के साथ डील की है और अब भारत के साथ समझौता करने के बहुत करीब हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन देशों के साथ डील नहीं हो पाएगी, उन्हें अमेरिका में अपने उत्पादों को भेजने के लिए भारी टैरिफ चुकाना पड़ेगा।

भारत को मिला अतिरिक्त समय

ट्रंप के इस बयान से ठीक पहले अमेरिका ने हाई टैरिफ के सस्पेंशन को 9 जुलाई से बढ़ाकर 1 अगस्त 2025 तक कर दिया है। इस फैसले से भारत को व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय मिल गया है। अमेरिकी प्रशासन की इस नरमी को व्यापार वार्ताओं में सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2 जुलाई से भारत पर कुछ उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर ली थी, जिसे अब फिलहाल के लिए टाल दिया गया है।

कृषि और डेयरी सेक्टर सबसे बड़ी बाधा

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में सबसे बड़ी चुनौती कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि भारत डेयरी क्षेत्र में ज्यादा पहुंच दे, लेकिन भारत ने अब तक किसी भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) में डेयरी को नहीं खोला है।

भारतीय डेयरी उद्योग लंबे समय से अमेरिका की मांग का विरोध करता रहा है क्योंकि इससे घरेलू उत्पादकों पर असर पड़ सकता है। साथ ही अमेरिका भी भारत से कृषि उत्पादों पर टैरिफ में रियायतें चाहता है, जो फिलहाल कठिन माना जा रहा है।

अमेरिका ने किन-किन देशों को भेजा टैरिफ नोटिस

ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को दर्जनों देशों को पत्र भेजे हैं जिनमें उनके उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ की जानकारी दी गई है। जिन देशों को पत्र भेजे गए हैं, उनमें शामिल हैं:

  • बांग्लादेश
  • बोस्निया एवं हर्जेगोविना
  • कंबोडिया
  • इंडोनेशिया
  • जापान
  • कजाकिस्तान
  • लाओस
  • मलेशिया
  • सर्बिया
  • दक्षिण अफ्रीका
  • दक्षिण कोरिया
  • थाईलैंड
  • ट्यूनीशिया

इन देशों के संदर्भ में ट्रंप ने कहा, “ये देश अमेरिका को लूट रहे हैं। ये हम पर ऐसे शुल्क लगा रहे हैं जो पहले कभी नहीं लगे थे। कुछ देश 200 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ वसूल रहे हैं, जिससे व्यापार मुश्किल हो रहा है।”

टैरिफ और ट्रंप की नीति

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत व्यापार नीति में कई कड़े कदम उठाए गए थे। ट्रंप ने अक्सर यह दावा किया है कि अमेरिका का व्यापार घाटा अन्य देशों के कारण बढ़ा है और इसलिए वह टैरिफ के जरिए संतुलन लाने की कोशिश कर रहे हैं।

चीन और यूरोप के साथ टैरिफ युद्ध के बाद अब भारत पर भी दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपने टैरिफ नियमों में बदलाव करे या फिर अमेरिकी सामानों पर टैरिफ के लिए तैयार रहे।

भारत के साथ डील क्यों जरूरी है अमेरिका के लिए

भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा और उभरता हुआ उपभोक्ता बाजार है। दोनों देशों के बीच व्यापार में बीते वर्षों में अच्छी वृद्धि देखी गई है। अमेरिका भारत के प्रमुख निर्यात बाजारों में से एक है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 200 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है।

ट्रंप की कोशिश है कि व्यापार संतुलन अमेरिका के पक्ष में लाया जाए, जिसके लिए वे ज्यादा बाजार पहुंच और कम टैरिफ चाहते हैं।

डील के संकेत और कूटनीतिक चालें

ट्रंप के बयान और अमेरिका द्वारा टैरिफ सस्पेंशन बढ़ाने से यह साफ हो रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर सक्रिय प्रयास हो रहे हैं। हालांकि भारत की तरफ से अब तक कोई अंतिम संकेत नहीं मिला है कि कब यह समझौता फाइनल होगा।

भारत अपने घरेलू हितों को ध्यान में रखते हुए इस समझौते को अंतिम रूप देना चाहता है, खासकर ऐसे सेक्टरों में जहां अमेरिका का दबाव ज्यादा है।

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