कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' एक बार फिर सुर्खियों में है। फिल्म की रिलीज़ को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें कथित रूप से धार्मिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका जताते हुए फिल्म पर रोक लगाने की मांग की गई है। लेकिन इस याचिका पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कड़ी आपत्ति जताई है और जमीयत पर तीखे आरोप लगाए हैं। परिषद का कहना है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ महज एक फिल्म नहीं, बल्कि सच्चाई को सामने लाने का जरिया है, जिसे किसी भी कीमत पर दबाया नहीं जाना चाहिए।
कश्मीर फाइल्स और केरल स्टोरी से नहीं बिगड़ा माहौल
VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष पारीक ने जमीयत की याचिका पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जब ‘कश्मीर फाइल्स’, ‘द केरल स्टोरी’ और ‘साबरमती रिपोर्ट’ जैसी फिल्मों ने देश के सामने सच रखा, तब किसी ने नहीं कहा कि इनसे माहौल बिगड़ रहा है। तो फिर ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर इतना डर क्यों? उन्होंने आगे कहा कि फिल्में समाज का आईना होती हैं और उनका मकसद लोगों को हकीकत से रूबरू कराना होता है।
पारीक ने साफ कहा कि अगर कन्हैयालाल की हत्या के पीछे जिहादी सोच है और फिल्म उस सच को उजागर कर रही है, तो इससे परेशानी किसे और क्यों हो रही है? अगर सच्चाई सामने आ रही है, तो क्या वह चुभ रही है? क्या जमीयत को इसीलिए आपत्ति है? – प्रवक्ता ने सवाल दागा।
जमीयत ने हमेशा आतंकियों की पैरवी की
बयान में VHP ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद पर बड़ा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह संगठन अब तक कई आतंकी मामलों में आरोपियों को कानूनी मदद देता आया है। परिषद के प्रवक्ता ने दावा किया कि जमीयत बार-बार आतंकियों का बचाव करती है और अब वही संगठन एक फिल्म की रिलीज रोकना चाहता है, क्योंकि वह कट्टरपंथ के उस चेहरे को उजागर कर रही है जिसे जमीयत छिपाना चाहती है।
पारीक ने यह भी कहा कि 'उदयपुर फाइल्स' में दिखाया गया है कि कैसे धर्म के नाम पर कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या की गई, उसका वीडियो रिकॉर्ड कर उसे वायरल किया गया ताकि डर और आतंक का माहौल बनाया जा सके। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि उस सच्चाई की प्रस्तुति है जिसे जानना देश के हर नागरिक का अधिकार है, उन्होंने कहा।
सच्चाई से भाग रही है जमीयत
विश्व हिंदू परिषद ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि जमीयत की याचिका को सिरे से खारिज किया जाए और ‘उदयपुर फाइल्स’ को बिना किसी रोक के रिलीज़ किया जाए। परिषद ने जमीयत पर ‘सिर तन से जुदा’ जैसे नारे और कट्टरपंथी मानसिकता को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया।
VHP का कहना है कि यह फिल्म कोई भड़काऊ कंटेंट नहीं दिखा रही, बल्कि एक वास्तविक घटना के तथ्यों को सामने रख रही है। अगर समाज को जागरूक करना अपराध है, तो फिर हमें अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाना होगा, परिषद ने कहा।