बीजेपी ने कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को ‘हिंदू गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया। अलीगढ़ में सीएम योगी और कई केंद्रीय मंत्री कार्यक्रम में शामिल होंगे। पार्टी का फोकस हिंदुत्व और OBC वोट बैंक साधने पर है।
UP Mission 2027: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी एक बार फिर अपने सबसे बड़े सियासी हथियार हिंदुत्व और OBC समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है। इसके लिए पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुत्व की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा रहे कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को आधार बनाया है। बीजेपी इस दिन को ‘हिंदू गौरव दिवस’ के रूप में मना रही है। पार्टी इसे 2027 के विधानसभा चुनाव की शुरुआती तैयारी के तौर पर देख रही है।
कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर जुटेंगे दिग्गज नेता
अलीगढ़ में आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी सहित कई दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि करीब दो दर्जन मंत्री भी श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे। यह केवल श्रद्धांजलि सभा भर नहीं होगी बल्कि पश्चिम यूपी में बीजेपी के चुनावी अभियान की शुरुआत मानी जा रही है।
कल्याण सिंह की छवि से साधा जाएगा हिंदुत्व का एजेंडा
कल्याण सिंह की पहचान हमेशा राम भक्त और कट्टर हिंदुत्ववादी नेता के रूप में रही है। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान वह यूपी के मुख्यमंत्री थे और उस समय उन्होंने सत्ता की बलि देकर खुद को राम मंदिर आंदोलन का नायक बना लिया था। यही वजह है कि बीजेपी आज भी उनकी छवि का इस्तेमाल हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत करने में करती है। पार्टी मानती है कि कल्याण सिंह की याद दिलाना मतदाताओं में धार्मिक जुड़ाव बढ़ा सकता है।
लोधी समुदाय को साधने की कोशिश
कल्याण सिंह OBC की लोधी जाति से आते थे। उत्तर प्रदेश में लोधी समुदाय लगभग तीन फीसदी है लेकिन पश्चिम और मध्य यूपी के करीब 23 जिलों में इनकी भूमिका निर्णायक है। यही वजह है कि बीजेपी कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को बड़े आयोजन के तौर पर मनाकर लोधी समाज को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखना चाहती है। लोधी समाज लंबे समय से बीजेपी का पारंपरिक वोटर माना जाता है लेकिन हाल में इस समुदाय की नाराजगी की खबरें सामने आई थीं।
बीजेपी बनाम सपा की PDA पॉलिटिक्स
बीजेपी की यह रणनीति समाजवादी पार्टी के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले का सीधा जवाब मानी जा रही है। सपा ने 2024 लोकसभा चुनाव में इस फॉर्मूले के जरिए ओबीसी और दलित वोटरों को एकजुट करने की कोशिश की थी और आंशिक सफलता भी हासिल की थी। बीजेपी अब कल्याण सिंह के बहाने सपा के इसी नैरेटिव को तोड़ना चाहती है।
ओबीसी वोट बैंक पर फोकस
उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओबीसी वोटर सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। प्रदेश की कुल आबादी में करीब 54 फीसदी हिस्सा ओबीसी समुदाय का है। इनमें यादव 10 फीसदी, लोध 3 फीसदी, कुर्मी-कुशवाहा और अन्य जातियां बड़ा हिस्सा हैं। बीजेपी का जोर गैर-यादव ओबीसी को अपने पाले में बनाए रखने पर है। यही कारण है कि पार्टी पाल, गड़रिया और बघेल समाज के साथ-साथ लोधी समुदाय पर भी विशेष फोकस कर रही है।
कल्याण सिंह ने बदली थी बीजेपी की छवि
बीजेपी को कभी ब्राह्मण-ठाकुर और बनिया समाज की पार्टी माना जाता था। लेकिन कल्याण सिंह ने इस छवि को बदलने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने ओबीसी समाज को बीजेपी से जोड़ा और मंडल राजनीति के दौर में बीजेपी को अलग पहचान दिलाई। यही वजह है कि उन्हें बीजेपी का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा माना जाता रहा है।
पश्चिम यूपी में गिरी पकड़, अब सुधार की कवायद
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिम यूपी में कई सीटों पर हार झेलनी पड़ी थी। मुजफ्फरनगर, कैराना, सहारनपुर, नगीना और मुरादाबाद जैसी सीटें पार्टी के हाथ से निकल गईं। वहीं, लोधी प्रभाव वाले कासगंज, बदायूं, आंवला और संभल जैसी सीटों पर भी झटका लगा। पार्टी अब पश्चिम यूपी में अपनी जड़ों को मजबूत करने के लिए कल्याण सिंह की याद और लोधी वोट बैंक का सहारा लेना चाहती है।
बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग
कल्याण सिंह के बाद बीजेपी के पास लोधी समाज या किसी बड़े ओबीसी नेता का वैसा कद नहीं है। ऐसे में पार्टी उनकी छवि को ही आधार बनाकर सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। लोधी समाज को साधने के साथ पार्टी का मकसद गैर-यादव ओबीसी वोटरों को यह संदेश देना है कि बीजेपी उनके सम्मान और पहचान की राजनीति करती है।
सियासी संदेश देने का मौका
बीजेपी इस पूरे आयोजन के जरिए एक बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है। सीएम योगी, डिप्टी सीएम और केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी से साफ है कि पार्टी इसे केवल श्रद्धांजलि सभा तक सीमित नहीं रख रही। बल्कि यह पश्चिम यूपी और पूरे राज्य में मिशन 2027 की शुरुआत है।