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उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: विपक्ष की रणनीति तैयार, जानें कौन हो सकता है INDIA ब्लॉक का उम्मीदवार

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: विपक्ष की रणनीति तैयार, जानें कौन हो सकता है INDIA ब्लॉक का उम्मीदवार

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर विपक्षी INDIA गठबंधन एक मजबूत उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रहा है। संख्या कम होने के बावजूद विपक्ष चुनाव को विचारधारा की लड़ाई मान रहा है।

Vice Presidential Election 2025: देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल है। एक ओर एनडीए गठबंधन उम्मीदवार तय करने की कवायद में जुटा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी INDIA ब्लॉक इस चुनाव को महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने का अवसर मान रहा है।

हालांकि विपक्ष को सदन में संख्याबल के लिहाज से बढ़त नहीं है, लेकिन फिर भी वह एक ऐसा चेहरा उतारने की योजना बना रहा है जो न सिर्फ उनकी विचारधारा का प्रतीक हो, बल्कि आम जनता को यह भरोसा भी दिला सके कि विपक्ष लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

रणनीति का नया अध्याय: विचारधारा के आधार पर होगा चयन

सूत्रों के अनुसार, INDIA गठबंधन एक ऐसे उम्मीदवार को सामने लाने पर विचार कर रहा है जो सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और जनहित के मुद्दों को मुखरता से उठाने में सक्षम हो। इस बार गठबंधन का उद्देश्य केवल चुनाव लड़ना नहीं है, बल्कि विपक्षी मतदाताओं और सामाजिक वर्गों के बीच एक मजबूत संदेश देना है। संभावित उम्मीदवार के लिए अल्पसंख्यक समुदाय, किसान प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी या सामाजिक कार्यकर्ता जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसके माध्यम से विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि वह देश के उन वर्गों के साथ खड़ा है जिनकी आवाज सत्ता में अनसुनी हो रही है।

विपक्ष की बैठक में होगा बड़ा मंथन

इस पूरे मामले पर 7 अगस्त को होने वाली INDIA ब्लॉक की अहम बैठक में चर्चा हो सकती है। इस बैठक में जहां एक ओर बिहार विधानसभा चुनावों की रणनीति पर विचार किया जाएगा, वहीं उपराष्ट्रपति पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार पर भी सहमति बनाने की कोशिश होगी। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बैठक में एक रिसर्च रिपोर्ट पेश करेंगे, जिसमें मतदाता सूची में गड़बड़ियों का खुलासा किया गया है। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार पर दबाव बनाने और जनता के बीच विपक्ष की सक्रियता दिखाने की रणनीति का हिस्सा है।

समय से पहले क्यों हो रहा है उपराष्ट्रपति चुनाव?

ध्यान देने वाली बात यह है कि यह चुनाव निर्धारित समय से पहले हो रहा है। इसका कारण है जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, जो न्यायपालिका के साथ विवाद के बाद सामने आया। बताया जा रहा है कि उन्होंने कुछ न्यायाधीशों को हटाने के नोटिस को स्वीकार कर लिया था, जिससे केंद्र सरकार और उपराष्ट्रपति कार्यालय के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को जल्दी शुरू किया है। अब सभी निगाहें इस बात पर हैं कि विपक्ष इस असामान्य परिस्थिति को राजनीतिक अवसर में कैसे बदलता है।

विपक्ष की केंद्र सरकार पर तीखी टिप्पणी

विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाता आया है कि वह संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है, धर्मनिरपेक्षता पर हमला कर रही है, और जनहित की उपेक्षा कर रही है। ऐसे में विपक्षी खेमे से यह मांग उठ रही है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसा चेहरा सामने लाया जाए जो इन मुद्दों को पूरे आत्मविश्वास के साथ जनता के बीच रख सके। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, 'यह चुनाव हमारे लिए संख्या का नहीं, बल्कि नैतिक स्थिति का सवाल है। हमें जनता को यह दिखाना है कि विपक्ष अब भी जीवंत है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए तैयार है।'

क्या विपक्ष एकजुट हो पाएगा?

हालांकि विपक्ष की रणनीति स्पष्ट दिखाई दे रही है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती एकजुटता की है। विभिन्न विपक्षी दलों के अपने-अपने राजनीतिक हित हैं, और कुछ क्षेत्रीय दल एक-दूसरे के विरोध में भी खड़े रहते हैं। ऐसे में एक सर्वसम्मत उम्मीदवार तय करना INDIA ब्लॉक के लिए बड़ी कसौटी साबित हो सकता है। पिछले अनुभव बताते हैं कि 2017 में कांग्रेस ने गोपाल कृष्ण गांधी को उम्मीदवार बनाया था, जिनका मुकाबला बीजेपी के वेंकैया नायडू से हुआ था। 2022 में विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को उतारा, लेकिन तब INDIA ब्लॉक पूरी तरह सक्रिय नहीं था। इस बार गठबंधन मजबूत है, लेकिन आंतरिक समन्वय एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

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