केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अधिकारियों को फाइलें लटकाने से बचने और समय पर निर्णय लेने की सलाह दी। उन्होंने मजाकिया अंदाज में बताया कि निर्णय न लेना जनता और सरकारी परियोजनाओं के लिए हानिकारक है।
New Delhi: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में अधिकारियों को फाइलें लटकाने और निर्णय लेने के महत्व को लेकर मजाक-मजाक में नसीहत दी। उन्होंने कहा कि कई बार सरकारी अधिकारी फाइलों से अपनी पत्नी से भी ज्यादा प्यार करते हैं और जैसे ही कोई फाइल आती है, उसे दबा कर बैठ जाते हैं। गडकरी ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि अगर मंजूर करनी है तो करें, ना मंजूर करनी है तो करें, लेकिन कम से कम कुछ निर्णय जरूर लें।
राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी के कार्यक्रम में मजेदार अंदाज
नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने मंच से अधिकारियों को फाइलें लटकाकर न रखने और समय पर निर्णय लेने की सलाह दी। गडकरी ने कहा, "किसी भी मामले पर निर्णय न होना लोगों के लिए तकलीफ की बात होती है। और निर्णय समय पर होना चाहिए। हमारे यहां लाखों-करोड़ों के प्रोजेक्ट्स हैं जिनपर निर्णय नहीं होते और इससे लोगों को बहुत तकलीफ होती है। जिसको एक तारीख को तनख्वाह मिलती है, वह डिले का अर्थ कभी नहीं समझ सकता।"
बाला साहेब से सीख
नितिन गडकरी ने एक अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वह महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे, उन्होंने बाला साहेब ठाकरे से मार्गदर्शन लिया। गडकरी ने कहा, "एक बार मैं बाला साहेब के पास गया और उनसे कहा कि काम होता नहीं है। उन्होंने मुझे एक वाक्य लिखा और दिया - I like people who can gets the work done। बाला साहेब ने कहा कि मैंने तुम्हें मंत्री बनाया है, अब तुम्हें जो करना है वह करो। यही बात मैंने सीखी और अब मैं अपने अधिकारियों से भी यही अपेक्षा करता हूँ कि काम समय पर पूरा करें।"
फाइलों के प्रति अधिकारी की आदत पर टिपण्णी
गडकरी ने अधिकारियों की फाइलों के प्रति लगाव पर मजेदार टिप्पणी करते हुए कहा, "मैंने अपने एक अधिकारी से कहा कि आप तो बहुत बड़े आदमी हो। उन्होंने पूछा क्या हुआ साहब। मैंने कहा कि पुराने इतिहास में बड़ी-बड़ी कहानियाँ होती हैं कि कोई प्रेयसी के लिए कितना प्रेम करता है। आप भी उसी अमर प्रेम के खास साक्षात्कार हैं। अधिकारी ने पूछा क्यों। मैंने कहा कि आप अपनी पत्नी से ज्यादा फाइलों से प्यार करते हैं। जैसे ही फाइल आती है, उसे दबा कर बैठ जाते हो।"
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह फाइलों को लटकाकर रखना ठीक नहीं है। गडकरी ने अधिकारियों से आग्रह किया कि "जो भी निर्णय करना है करो और उसे खत्म करो।" उन्होंने स्पष्ट किया कि फाइलें लटकाकर रखने से न केवल काम की गति धीमी होती है, बल्कि आम जनता को भी असुविधा होती है।
अधिकारियों के लिए कार्यनिष्पादन का संदेश
गडकरी का यह संदेश अधिकारियों के लिए एक चेतावनी और मार्गदर्शन दोनों था। उन्होंने बताया कि समय पर निर्णय लेना और जिम्मेदारी निभाना किसी भी सरकारी परियोजना की सफलता के लिए आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी और निर्णय लेने की क्षमता सीधे जनता की भलाई से जुड़ी है।
निर्णय लेने की जिम्मेदारी
गडकरी ने अधिकारियों को यह भी याद दिलाया कि मंत्री केवल मार्गदर्शन दे सकते हैं, काम पूरा करने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है। उन्होंने कहा, "मुझे कुछ नहीं जानना है। तुम्हें करना पड़ेगा। समय पर निर्णय लेना और उसे लागू करना ही प्रशासनिक सफलता की कुंजी है।"











