कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कोविड वैक्सीन को हार्ट अटैक से जोड़ा। विशेषज्ञ पैनल ने यह दावा खारिज किया। BJP ने उनके बयान को गैर-जिम्मेदार बताते हुए सार्वजनिक माफी की मांग की है।
Karnataka: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया का हालिया बयान कि कोविड वैक्सीन दिल के दौरे का कारण बन रही है, अब एक बड़े राजनीतिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विवाद में तब्दील हो गया है। उन्होंने यह दावा हासन जिले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान किया, जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में वैक्सीन को मंजूरी दी और इसके दुष्परिणाम अब देखने को मिल रहे हैं।
एक्सपर्ट पैनल ने किया बयान को खारिज
सिद्दरमैया के इस बयान के बाद सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की, जिसने इस दावे की जांच की। समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि कोविड वैक्सीन और दिल के दौरे के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और लाखों लोगों की जान बचाने में कारगर रही है।
बीजेपी ने की माफी की मांग
पैनल की रिपोर्ट सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सिद्दरमैया से माफी की मांग की है। बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री ने वैक्सीन को लेकर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाई है, जिससे जनता में डर और भ्रम का माहौल बन सकता है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का तीखा हमला
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सिद्दरमैया को गैर-जिम्मेदार करार देते हुए कहा कि उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि ICMR, NCDC और AIIMS जैसे शीर्ष संस्थानों ने स्पष्ट किया है कि हार्ट अटैक और कोविड वैक्सीन के बीच कोई लिंक नहीं है।
जोशी ने यह भी आरोप लगाया कि सिद्दरमैया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर वैक्सीन पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि यह वैक्सीन मोदी सरकार के कार्यकाल में विकसित की गई थी।
बीजेपी प्रवक्ताओं ने भी जताई नाराजगी
बीजेपी प्रवक्ता और पूर्व मंत्री डॉक्टर सीएन अश्वत नारायण ने भी सिद्दरमैया के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के ऐसा बयान दिया जो गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री को तुरंत जनता से माफी मांगनी चाहिए।
जनता में भ्रम की स्थिति
सिद्दरमैया का बयान ऐसे समय आया है जब कोविड वैक्सीन को लेकर पहले ही समाज के कुछ वर्गों में संदेह और भ्रम की स्थिति है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान न केवल जनस्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं, बल्कि इससे वैक्सीनेशन पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।