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Maharshtra: पुणे अस्पताल पर गंभीर आरोप! गर्भवती महिला को भर्ती से इनकार, मौत के बाद सीएम ने दिए जांच के आदेश

Maharshtra: पुणे अस्पताल पर गंभीर आरोप! गर्भवती महिला को भर्ती से इनकार, मौत के बाद सीएम ने दिए जांच के आदेश
अंतिम अपडेट: 05-04-2025

महाराष्ट्र में गर्भवती तनीषा भिसे को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, जिसके बाद जुड़वां बच्चों को जन्म देकर उनकी मौत हो गई। भाजपा एमएलसी अमित गोरखे ने वीडियो जारी कर आरोप लगाए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच समिति के गठन का आदेश दिया है।

Maharashtra CM on hospital case: महाराष्ट्र के पुणे स्थित दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल एक बार फिर विवादों में आ गया है। आरोप है कि अस्पताल ने एक गर्भवती महिला को 10 लाख रुपये एडवांस जमा न करने पर भर्ती करने से मना कर दिया, जिसके चलते महिला की मौत हो गई। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब भाजपा एमएलसी अमित गोरखे ने एक वीडियो जारी कर घटना पर रोष जताया।

सीएम फडणवीस का संज्ञान

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच समिति बनाने का आदेश दिया है। यह समिति पुणे के संयुक्त आयुक्त (चैरिटी) की अध्यक्षता में गठित की गई है, जिसमें विधि एवं न्याय विभाग के उप सचिव या अवर सचिव को समिति का सदस्य सचिव बनाया गया है। समिति पूरे मामले की बारीकी से जांच करेगी।

‘चैरिटी रोगी योजना’ के पालन पर सीएम कार्यालय सख्त

सीएम कार्यालय ने स्पष्ट किया कि सभी धर्मार्थ अस्पतालों को हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित 'चैरिटी रोगी योजना' का पालन करना अनिवार्य है। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि गरीब और कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित बिस्तरों की सुविधा ‘चैरिटी हॉस्पिटल हेल्प डेस्क’ के माध्यम से पारदर्शिता से दी जाए।

फडणवीस ने कहा- ‘यह अस्पताल की असंवेदनशीलता है’

मुख्यमंत्री ने घटना को ‘अस्पताल की असंवेदनशीलता’ करार देते हुए मेडिकल एथिक्स की कमी को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने माना कि इस तरह की घटनाएं समाज में गुस्सा पैदा करती हैं और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी सिद्धांतों को चुनौती देती हैं।

अस्पताल ने खारिज किए आरोप

मंगेशकर अस्पताल ने अपने आंतरिक जांच रिपोर्ट में दावा किया कि अस्पताल द्वारा 10 लाख की मांग का आरोप पूरी तरह भ्रामक है। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, महिला की स्थिति गंभीर थी और उन्हें नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में लंबा इलाज चाहिए था। इसी वजह से उन्हें सरकारी ससून अस्पताल में भेजने की सलाह दी गई थी।

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