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नेशनल हेराल्ड केस: चार्जशीट से अहम दस्तावेज गायब, कोर्ट ने सोनिया-राहुल को नोटिस देने से किया इनकार

नेशनल हेराल्ड केस: चार्जशीट से अहम दस्तावेज गायब, कोर्ट ने सोनिया-राहुल को नोटिस देने से किया इनकार
अंतिम अपडेट: 5 घंटा पहले

दिल्ली की अदालत में नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ नोटिस जारी करने की मांग की थी। हालांकि अदालत ने इस मांग को खारिज करते हुए नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया।

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े बहुचर्चित मनी लॉन्ड्रिंग केस में शुक्रवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान अप्रत्याशित मोड़ आया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दायर चार्जशीट में कुछ जरूरी दस्तावेजों की अनुपस्थिति पर अदालत ने गंभीर चिंता जताई। इसी आधार पर विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने फिलहाल किसी भी प्रकार का नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया।

ईडी की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी दस्तावेज व्यवस्थित और पूर्ण रूप में अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए जाते, तब तक नोटिस जारी करना उचित नहीं होगा। अदालत ने यह भी कहा कि चार्जशीट में जिन कागजातों का जिक्र है, वे अनुपस्थित हैं और उनकी गैरमौजूदगी में निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित हो सकती है।

ईडी की अपील पर अदालत का अस्वीकार

ईडी ने अदालत से अनुरोध किया था कि नए कानूनों के आलोक में तत्काल नोटिस जारी किए जाएं ताकि कार्यवाही में विलंब न हो। ईडी के वकील ने तर्क दिया कि अब आरोपी पक्ष को नोटिस भेजे बिना मामले की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। एजेंसी ने कहा कि वे मामले में पारदर्शिता बरत रहे हैं और किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं छिपा रहे।

अदालत ने हालांकि इस पर असहमति जताते हुए कहा कि नोटिस जारी करने से पहले अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि चार्जशीट पूरी तरह से दस्तावेजों से सुसज्जित है और उसमें कोई प्रक्रिया संबंधी त्रुटि न हो।

दस्तावेजों की असंगति बनी बाधा

अदालत के कर्मचारियों ने बताया कि ईडी द्वारा सौंपी गई चार्जशीट की सॉफ्ट कॉपी में कई दस्तावेज क्रम से नहीं लगे हुए हैं और कुछ कागजात स्पष्ट रूप से गायब हैं। विशेष न्यायाधीश गोगने ने कहा, केवल सॉफ्ट कॉपी दाखिल कर देना पर्याप्त नहीं है, दस्तावेज सही क्रम में और पूर्ण होने चाहिए। अदालत किसी भी स्थिति में आधी-अधूरी जानकारी पर संज्ञान नहीं ले सकती।

कोर्ट ने ईडी को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई से पहले सभी आवश्यक दस्तावेज, क्रम और संरचना के साथ उपलब्ध कराए जाएं। न्यायाधीश ने कहा कि 2 मई को होने वाली अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि नोटिस जारी करना आवश्यक है या नहीं।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?

यह मामला मूलतः कांग्रेस पार्टी से जुड़ी संस्था एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडियन कंपनी के बीच वित्तीय लेनदेन को लेकर है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2014 में इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि कांग्रेस नेताओं ने AJL की संपत्तियों का गलत तरीके से नियंत्रण हासिल किया।

सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडियन कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी रखते हैं, जो AJL की देनदारियों का प्रबंधन करती है। आरोप है कि इस प्रक्रिया में वित्तीय अनियमितता हुई और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए संपत्ति का दुरुपयोग किया गया।

2021 में शुरू हुई थी ईडी की जांच

ईडी ने 2021 में इस मामले में अपनी औपचारिक जांच शुरू की थी। इससे पहले 2014 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने स्वामी की शिकायत पर संज्ञान लिया था। इसके बाद से कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ कई बार पूछताछ और जांच की प्रक्रिया चली। हालांकि, अब तक अदालत में चार्जशीट दाखिल कर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

इस मामले में कांग्रेस ने लगातार इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार अपने विरोधियों को डराने और कमजोर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि ईडी का यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।

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