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Google का सख्त रुख, 'ऑफिस आओ या अलविदा कहो' – रिमोट वर्कर्स को अंतिम चेतावनी

Google का सख्त रुख, 'ऑफिस आओ या अलविदा कहो' – रिमोट वर्कर्स को अंतिम चेतावनी
अंतिम अपडेट: 4 घंटा पहले

Google ने एक बड़ा और स्पष्ट संदेश अपने रिमोट कर्मचारियों को दे दिया है: या तो ऑफिस आओ, या नौकरी छोड़ो। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में आक्रामक रणनीति के तहत काम कर रही है और उसे इन-पर्सन टीम वर्क की जरूरत महसूस हो रही है।

Google Blunt Ultimatum: दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी Google ने अब अपने रिमोट वर्क कल्चर पर ब्रेक लगाना शुरू कर दिया है। कोरोना महामारी के दौरान जब वर्क फ्रॉम होम एक मजबूरी बन गई थी, तब Google समेत तमाम टेक कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने की छूट दी थी। लेकिन अब जब स्थितियाँ सामान्य हो चुकी हैं, तो कंपनी दोबारा ऑफिस कल्चर को अपनाने की दिशा में सख्त कदम उठा रही है।

Google की Technical Services और HR (People Operations) जैसी महत्वपूर्ण टीमों के रिमोट कर्मचारियों को सीधे शब्दों में चेतावनी दे दी गई है—अब हफ्ते में कम से कम तीन दिन ऑफिस आना अनिवार्य है। खासकर वे कर्मचारी जो कंपनी के ऑफिस से 50 मील (लगभग 80 किलोमीटर) के दायरे में रहते हैं, उनके लिए यह नियम अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। यदि कोई कर्मचारी इस निर्देश का पालन नहीं करता, तो उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।

महामारी के बाद बदली रणनीति

कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर की टेक कंपनियों ने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी थी। Google भी उनमें से एक था। लेकिन अब जैसे-जैसे परिस्थितियां सामान्य हो रही हैं, कंपनी फिर से पारंपरिक ऑफिस कल्चर को अपनाने में जुट गई है। Google की कुछ विशेष यूनिट्स, जैसे कि टेक्निकल सर्विसेज और पीपल ऑपरेशंस (HR), ने अपने कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि यदि वे Google ऑफिस से 50 मील (लगभग 80 किलोमीटर) के दायरे में रहते हैं, तो उन्हें सप्ताह में कम से कम तीन दिन ऑफिस आना होगा। आदेश के उल्लंघन पर नौकरी जाने का खतरा भी जताया गया है।

विकल्प भी हैं, लेकिन शर्तों के साथ

कंपनी ने रिमोट कर्मचारियों को एक सीमित विकल्प भी दिया है, वे चाहें तो रिलोकेशन पैकेज लेकर ऑफिस के करीब शिफ्ट हो सकते हैं। लेकिन अगर कोई न तो ऑफिस आना चाहता है और न ही शिफ्ट होना चाहता है, तो उसे 'स्वैच्छिक विदाई' यानी नौकरी से इस्तीफा देने का विकल्प दिया गया है। Google की प्रवक्ता कोर्टनी मेंचिनी ने इस नीति को सही ठहराते हुए कहा कि, इन-पर्सन वर्क से इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है और जटिल समस्याओं को टीम वर्क से जल्दी हल किया जा सकता है। कंपनी का मानना है कि आमने-सामने बैठकर काम करने का तरीका AI जैसी जटिल तकनीकों के विकास के लिए जरूरी है।

AI फोकस के चलते टीमों में पुनर्गठन

AI पर फोकस के चलते Google ने पिछले कुछ समय में कई टीमों में छंटनी और पुनर्गठन किया है। Android, Chrome, Nest और Fitbit जैसे विभागों में पहले ही कई कर्मचारियों को स्वैच्छिक विदाई की पेशकश की जा चुकी है। Google के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन भी ऑफिस में काम को जरूरी मानते हैं। उन्होंने इस साल की शुरुआत में अपनी AI टीम से कहा था कि वे सप्ताह में 60 घंटे ऑफिस में बिताएं। ब्रिन के अनुसार, AI की वैश्विक दौड़ में आगे बने रहने के लिए यह जरूरी है कि कर्मचारी एक-दूसरे के साथ मिलकर फिजिकली काम करें।

घटती हेडकाउंट, बढ़ती उम्मीदें

2022 के मुकाबले 2024 के अंत तक Google के ग्लोबल कर्मचारी संख्या में थोड़ी गिरावट देखी गई है, अब कंपनी के पास लगभग 1.83 लाख कर्मचारी हैं। लेकिन इनकी भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि कंपनी AI में बढ़त लेने के लिए संगठित और सामूहिक प्रयासों पर जोर दे रही है।

जहां कुछ कर्मचारी इस फैसले को सकारात्मक मानते हैं क्योंकि इससे टीम में सहयोग और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, वहीं कई लोग इसे कठोर और पारिवारिक-समस्याओं को नजरअंदाज करने वाला कदम मान रहे हैं। खासकर वे कर्मचारी जो दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहकर काम कर रहे हैं, उनके लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

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