अबू आजमी ने इजरायल-ईरान तनाव पर पीएम मोदी को निशाने पर लिया। कहा कि भारत के पूर्व PM ने फलस्तीन का समर्थन किया था। उन्हें विरोधी बयान देकर पुरानी विदेश नीति को बदलने का आरोप लगाया।
Israel Iran War: अबू आजमी ने पीएम मोदी की विदेश नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा फलस्तीन के साथ रहा है, लेकिन अब सरकार की चुप्पी चिंता जनक है। इजरायल-ईरान युद्ध के बीच मोदी सरकार की स्थिति सवालों में है।
इजरायल-ईरान टकराव के बीच अबू आजमी का बयान
इजरायल और ईरान के बीच जारी सैन्य संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को गर्मा दिया है। इस बीच भारत में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक अबू आजमी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को लेकर तीखा बयान दिया है।
अबू आजमी ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों—जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी—ने हमेशा फलस्तीन का समर्थन किया है। उन्होंने हमेशा इजरायल के कब्जे का विरोध किया और फलस्तीन की आजादी की वकालत की। उनका कहना है कि भारत की परंपरागत विदेश नीति हमेशा पीड़ितों के पक्ष में रही है। ऐसे में अब भारत की चुप्पी या बदला हुआ रुख, अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
पीएम मोदी पर सीधा हमला
अबू आजमी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा, “149 देश फलस्तीन के समर्थन में खड़े हैं, लेकिन भारत ने खुलकर अपना पक्ष नहीं रखा। यह बहुत बड़ी गलती है।” उन्होंने कहा कि यह रुख हमारी पारंपरिक विदेश नीति के खिलाफ है और ऐसा लग रहा है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है। “जनता इसे माफ नहीं करेगी,” आजमी ने कहा।
फलस्तीन पर हो रहे अत्याचार की निंदा
अबू आजमी का कहना है कि दुनिया भर में फलस्तीन में हो रही हिंसा और नागरिकों पर अत्याचार को लेकर आवाजें उठ रही हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को इस अन्याय के खिलाफ खुलकर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमेशा हमने मानवता और न्याय के पक्ष में खड़े होने की नीति अपनाई है। लेकिन अब अगर हम चुप रहेंगे, तो यह हमारी ऐतिहासिक नीति के विपरीत होगा।”
इजरायल-ईरान के बीच क्या है ताजा स्थिति?
इजरायल ने हाल ही में ईरान पर सैन्य कार्रवाई की है, जिसके जवाब में ईरान ने भी हमले किए हैं। इस टकराव से पूरी मध्य पूर्वी क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियां इस संघर्ष में गहराई से जुड़ी हैं।
हालांकि, ईरान की ओर से हाल ही में एक ‘सीजफायर प्रस्ताव’ सामने आया है, लेकिन इजरायल की प्रतिक्रिया अब तक स्पष्ट नहीं है। अमेरिका ने भी ईरान को चेतावनी दी है कि अगर उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया तो वे चुप नहीं बैठेंगे।