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अदालत से आरएसएस को राहत, कर्नाटक हाईकोर्ट ने दी रूट मार्च की मंजूरी

अदालत से आरएसएस को राहत, कर्नाटक हाईकोर्ट ने दी रूट मार्च की मंजूरी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरएसएस को चित्तपुर में रूट मार्च की अनुमति दी है। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में हर विचारधारा को समान अधिकार मिलना चाहिए। कांग्रेस सरकार ने पहले अनुमति देने से इनकार किया था।

RSS March: कर्नाटक में आरएसएस (RSS) के रूट मार्च को लेकर जारी विवाद पर बड़ा फैसला आया है। मंत्री प्रियांक खरगे के गृह क्षेत्र चित्तपुर में प्रशासन ने पहले इस मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। लेकिन अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए आरएसएस को मार्च की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी विचारधारा व्यक्त करने का अधिकार है और सभी की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

प्रियांक खरगे के क्षेत्र में प्रशासन ने लगाई थी रोक

कांग्रेस सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए आरएसएस के 19 अक्टूबर को प्रस्तावित रूट मार्च की अनुमति नहीं दी थी। जिला प्रशासन का तर्क था कि चित्तपुर में आरएसएस, भीम आर्मी और भारतीय दलित पैंथर की रैलियां एक ही दिन होने से झड़प की संभावना थी। यही कारण बताते हुए अनुमति रद्द कर दी गई थी। इसके खिलाफ आरएसएस कलबुर्गी के संयोजक अशोक पाटिल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट ने दी आरएसएस को मंजूरी

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एमजीएस कमल की एकल पीठ ने की। अदालत ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी संगठनों को समान अधिकार मिले। साथ ही कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया कि आरएसएस का रूट मार्च 2 नवंबर को चित्तपुर में आयोजित करने की अनुमति दी जाए। अदालत ने साफ कहा कि “लोकतंत्र में किसी भी विचारधारा को दबाया नहीं जा सकता।”

कोर्ट के फैसले से कांग्रेस को झटका

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राज्य सरकार की कोशिश थी कि किसी तरह आरएसएस के इस कार्यक्रम को रोका जाए ताकि सामाजिक तनाव से बचा जा सके। लेकिन अदालत ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) का मामला बताते हुए सरकार के तर्क को खारिज कर दिया।

भाजपा ने बताया लोकतंत्र की जीत

कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने अदालत के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों (democratic values) की जीत है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए कहा कि “चित्तपुर में आरएसएस के संचलन पर रोक लगाने का प्रयास उत्तर कोरिया जैसे सत्तावादी शासन की याद दिलाता है।”

भाजपा नेताओं का कहना है कि यह फैसला उन लोगों के लिए सबक है जो संविधान का नाम लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलना चाहते हैं। पार्टी ने अदालत के फैसले को “लोकतंत्र की सच्ची भावना की पुनर्स्थापना” बताया।

तनाव की आशंका

स्थानीय पुलिस ने पहले रिपोर्ट दी थी कि आरएसएस और अन्य संगठनों की एक साथ रैलियों से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके अलावा, हाल ही में एक आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा मंत्री प्रियांक खरगे को धमकी देने की घटना के बाद चित्तपुर में माहौल तनावपूर्ण है। अदालत के फैसले के बाद प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

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