अहमदाबाद विमान हादसे में कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने जांच पर न्यायिक निगरानी की मांग की और कहा कि वर्तमान जांच पायलट पर केंद्रित होकर अन्य कारणों की अनदेखी कर रही है।
अहमदाबाद: 12 जून, 2025 को अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना की त्रासदी अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है। इस हादसे में पायलट सुमित सभरवाल समेत कुल 260 लोगों की मौत हुई थी। केवल एक व्यक्ति, 43 वर्षीय विश्वासकुमार रमेश, ही बच पाया। पायलट के पिता पुष्करराज सभरवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर इस हादसे की स्वतंत्र और न्यायिक निगरानी में जांच की मांग की है।
पुष्करराज सभरवाल ने फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) के साथ मिलकर 10 अक्टूबर को याचिका दायर की। उनका आरोप है कि मौजूदा जांच पायलट की गलती पर केंद्रित है और अन्य तकनीकी कारणों की जांच में कमी रह गई है।
पायलट पर लगाए गए आरोप पर परिवार की चिंता
सभरवाल का दावा है कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने उनके बेटे पर गंभीर आरोप लगाए थे। जांच के अनुसार, कैप्टन सभरवाल ने उड़ान भरने के बाद इंजनों की ईंधन आपूर्ति बंद कर दी थी। हालांकि, सरकार ने इस आरोप का खंडन किया।
याचिका में कहा गया है कि सभी पुराने सबूतों और जांच को रद्द कर नई जांच न्यायिक निगरानी में होनी चाहिए। पुष्करराज सभरवाल और पायलट संघ का तर्क है कि केवल पायलट को दोषी ठहराने से दुर्घटना की पूरी सच्चाई सामने नहीं आएगी।
दुर्घटना के तकनीकी कारणों की गहन जांच
पायलट परिवार और FIP ने जोर देकर कहा है कि दुर्घटना के सभी संभावित कारणों पर ध्यान देना आवश्यक है। अमेरिकी अधिकारियों की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग से प्रतीत होता है कि इंजनों में ईंधन का प्रवाह रोका गया था।
हालांकि परिवार का कहना है कि तकनीकी खामियों और अन्य कारकों की भी गहन जांच जरूरी है, ताकि हादसे की पूरी वजह सामने आए और भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
याचिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग
इस याचिका के माध्यम से पायलट समुदाय और सरकार के बीच चल रहे तनाव को भी उजागर किया गया है। FIP और सभरवाल परिवार ने पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस याचिका पर सुनवाई नहीं की है। यह याचिका भारतीय विमानन सुरक्षा में सुधार और जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।