भारत के निर्यात और आयात में सितंबर 2025 में वृद्धि दर्ज की गई। निर्यात 6.74% बढ़कर 36.38 अरब डॉलर और आयात 16.6% बढ़कर 68.53 अरब डॉलर हुआ। अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत ने अपने अन्य वैश्विक बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर निर्यात में मजबूती दिखाई। प्रमुख निर्यात में इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि और रत्न शामिल हैं।
India's exports: सितंबर 2025 में भारत के निर्यात और आयात दोनों में वृद्धि हुई, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, निर्यात 36.38 अरब डॉलर तक बढ़ा जबकि आयात 68.53 अरब डॉलर हुआ, जिससे व्यापार घाटा 32.15 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अमेरिकी टैरिफ 50% के बावजूद भारत ने अन्य बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर निर्यात में इजाफा किया। प्रमुख निर्यात उत्पादों में इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक सामान, औषधियां, रसायन, रत्न एवं आभूषण और चावल शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्यात में वृद्धि भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता को दर्शाती है।
निर्यात और आयात में वृद्धि
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत का वस्तु निर्यात 36.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी महीने की तुलना में 6.74 फीसदी अधिक है। वहीं, आयात में 16.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 68.53 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 32.15 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल में सबसे ऊंचा स्तर है।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में अप्रैल से सितंबर तक कुल निर्यात 220.12 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 3.02 फीसदी ज्यादा है। वहीं, आयात 375.11 अरब डॉलर पर पहुंचा, जो 4.53 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। इस दौरान कुल व्यापार घाटा बढ़कर 154.99 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
अमेरिका के टैरिफ का असर नहीं
अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया था, जिससे यह माना जा रहा था कि भारत का निर्यात प्रभावित होगा। लेकिन आंकड़े इस अनुमान को गलत साबित करते हैं। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत का माल और सेवा निर्यात अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने बताया कि अमेरिका को भारत का लगभग 45 फीसदी निर्यात उच्च टैरिफ के दायरे से बाहर है। इसके साथ ही भारत ने अमेरिकी बाजारों के बजाय अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों की ओर ध्यान केंद्रित किया, जिससे निर्यात में वृद्धि बनी रही।
किस सेक्टर में बढ़ोतरी
सतत वृद्धि के पीछे भारत के मजबूत घरेलू उद्योग और सप्लाई चेन का योगदान है। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि, रसायन, रत्न एवं आभूषण और चावल के निर्यात में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात अप्रैल-सितंबर की अवधि में घटकर 30.63 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 35.65 अरब डॉलर था।
इसके अलावा सोने का आयात सितंबर में बढ़कर 9.6 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल के इसी महीने 5.14 अरब डॉलर था। उर्वरक और चांदी के आयात में भी बढ़ोतरी देखी गई।
निर्यात मजबूत, स्थानीय उत्पादन पर ध्यान जरूरी
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा कि सितंबर में निर्यात में लगातार वृद्धि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय निर्यातकों की मजबूती और प्रतिस्पर्धी क्षमता को दिखाती है। उन्होंने कहा कि आयात में बढ़ोतरी घरेलू विनिर्माण को और मजबूत करने की जरूरत बताती है।
एस. सी. रल्हन ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात में वृद्धि यह दर्शाती है कि स्थानीय उत्पादन और नवाचार पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करके और वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाकर आयात प्रतिस्थापन के लिए रणनीति अपनाई जाए।
वैश्विक नजरिए से भारत की पकड़
भारत की निर्यात वृद्धि अमेरिका और चीन जैसे देशों के लिए संकेत देती है कि भारतीय उद्योग मजबूत हैं और वैश्विक बाजार में उनकी पकड़ मजबूत हो रही है। अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत ने अपने निर्यात को प्रभावित नहीं होने दिया और वैकल्पिक बाजारों में अवसर तलाश कर निर्यात में इजाफा किया।
चीन और अमेरिका के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि भारत के उत्पाद अब उनकी बाजार हिस्सेदारी में बाधा डाल सकते हैं। इसके अलावा, भारत की स्थिर सप्लाई चेन और मजबूत घरेलू उद्योग इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाते हैं।