AI चैटबॉट्स जैसे ChatGPT और Gemini अब हर उम्र के लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इन पर पूरी तरह भरोसा करना सुरक्षित नहीं है। पर्सनल डेटा, गलत जानकारी और भावनात्मक भ्रम से बचने के लिए सतर्क रहना जरूरी है।
AI Chatbot Security: आजकल ChatGPT और Gemini जैसे AI चैटबॉट्स भारत और दुनिया भर में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। यूजर्स इन्हें ऑफिस के काम, सामान्य सवाल और कंटेंट क्रिएशन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन चैटबॉट्स पर पूरी तरह भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि ये गलत जानकारी दे सकते हैं और पर्सनल डेटा लीक होने का खतरा रहता है। इसलिए यूजर्स को प्राइवेसी नियमों का पालन करना और संवेदनशील जानकारी साझा न करना चाहिए।
हर जवाब पर न करें भरोसा
AI चैटबॉट्स डेटा और प्रोबेबिलिटी के आधार पर जवाब देते हैं। इसका मतलब है कि वे हमेशा सही जानकारी नहीं देते। यूजर्स को यह समझना चाहिए कि चैटबॉट के जवाब संदर्भ और ट्रेनिंग डेटा तक सीमित होते हैं।
इसलिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने या संवेदनशील जानकारी पर भरोसा करने से पहले हमेशा तथ्यों की पुष्टि करें। विशेषज्ञों का कहना है कि गलत जानकारी पर आधारित फैसले नुकसानदेह हो सकते हैं।
पर्सनल जानकारी सुरक्षित रखें
कई लोग चैटबॉट्स के साथ बातचीत में पासवर्ड, बैंक डिटेल या स्वास्थ्य जैसी संवेदनशील जानकारी साझा कर देते हैं। यह डेटा सर्वर पर स्टोर हो सकता है और प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल भी हो सकता है।
इसलिए पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारी चैटबॉट्स के साथ साझा करना जोखिम भरा है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि केवल सामान्य जानकारी ही चैटबॉट्स में डालें।
चैटबॉट इंसान नहीं है
भले ही चैटबॉट्स इंसानी बातचीत की नकल कर सकें, लेकिन उनमें भावनाएं नहीं होती। माफी, गुस्सा या प्रसन्नता जैसे भाव केवल प्रोग्रामिंग और डेटा पैटर्न के आधार पर दिखाई देते हैं।
यूजर्स को यह समझना जरूरी है कि चैटबॉट्स भावनाओं के आधार पर निर्णय नहीं लेते। केवल डेटा और लॉजिक के आधार पर जवाब देते हैं।
AI चैटबॉट्स काम को तेज और आसान बनाते हैं, लेकिन इनके साथ सतर्क रहना बेहद जरूरी है। गलत जानकारी, डेटा प्राइवेसी और संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचना चाहिए। यूजर्स को हमेशा प्राइवेसी टर्म्स पढ़कर ही चैटबॉट्स का इस्तेमाल करना चाहिए।