अमेरिका ने 7 अगस्त 2025 से भारतीय निर्यात पर 25% शुल्क लागू किया, जिससे मोती और कीमती रत्नों का निर्यात 54.2% घट गया। रेडीमेड परिधान, सूती कपड़ा, ड्रग फॉर्मूलेशन और वाहन कलपुर्जों के निर्यात में भी गिरावट आई। अमेरिकी बाजार पर निर्भरता के चलते श्रम-उन्मुख और बहुमूल्य वस्तुओं के निर्यात को सबसे अधिक झटका लगा।
U.S. tariffs: 7 अगस्त 2025 से अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के विरोध में भारत के कई निर्यात पर 25% शुल्क लागू किया, जिससे मोती और कीमती रत्नों का निर्यात 54.2%, समुद्री उत्पाद 33%, सोने और अन्य आभूषण 18.6%, रेडीमेड परिधान 13.2%, सूती कपड़े 10.1%, ड्रग फॉर्मूलेशन 7% और वाहन कलपुर्जों का निर्यात 6.6% घट गया। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, और इस कदम से श्रम-उन्मुख और बहुमूल्य वस्तुओं के निर्यात पर व्यापक असर पड़ा। दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता अब अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क और लंबित मुद्दों के समाधान के लिए फिर से शुरू की जा रही है।
वस्त्र और अन्य श्रम-उन्मुख क्षेत्रों में गिरावट
रेडीमेड परिधान का निर्यात इस अवधि में 13.2 फीसदी कम हुआ। सूती कपड़े का निर्यात 10.1 फीसदी घटा। ड्रग फॉर्मूलेशन में 7 फीसदी और वाहन कलपुर्जों के निर्यात में 6.6 फीसदी की कमी आई। अमेरिकी बाजार भारत के कुल रेडीमेड कपड़े निर्यात में 34 फीसदी और सूती कपड़ों में 39 फीसदी का हिस्सा रखता है। इसके अलावा, कीमती रत्न निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 37 फीसदी और स्वर्ण आभूषण में 28 फीसदी है।
समुद्री उत्पादों के निर्यात में भी अमेरिका को भेजे जाने वाले हिस्से में गिरावट आई है। अगस्त में समुद्री उत्पादों का 36 फीसदी, ड्रग फॉर्मूलेशन का 40 फीसदी और वाहन कलपुर्जों का 22 फीसदी निर्यात अमेरिका को गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका में भारतीय निर्यात के अधिकांश श्रम-उन्मुख क्षेत्र भारी रूप से प्रभावित हुए हैं।
अमेरिका पर निर्यात की निर्भरता
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। देश के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 20 फीसदी है। पिछले 14 वर्षों में निर्यात में विविधता लाने के प्रयासों के बावजूद अमेरिका पर निर्भरता बढ़ी है। यह स्थिति भारतीय उद्योगों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में किसी भी नीति परिवर्तन का सीधा असर भारतीय निर्यात पर पड़ता है।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते की तैयारी
भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयास तेज कर दिए हैं। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल इस सप्ताह के अंत में अमेरिका की यात्रा पर जाएगा। यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच हाल की फोन बातचीत और अमेरिका के भारत में राजदूत पद के लिए मनोनीत सर्जियो गोर की यात्रा के बाद हो रहा है।
अगस्त में होने वाली पिछली व्यापार वार्ताएं अमेरिकी शुल्क के कारण स्थगित कर दी गई थीं। दोनों देश अब एक व्यापक समाधान पर चर्चा कर रहे हैं। इसमें लंबित व्यापार समझौते और भारत द्वारा रूस से तेल की निरंतर खरीद पर अमेरिका की चिंता को दूर करने के प्रयास शामिल हैं।
व्यापार और उद्योगों पर असर
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी शुल्क के कारण मोती, कीमती रत्न, रेडीमेड कपड़े और समुद्री उत्पाद जैसे श्रम-उन्मुख क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। हालांकि, दूरसंचार उपकरणों के निर्यात में बढ़ोतरी ने कुछ राहत दी है।
अगले कुछ महीनों में अमेरिकी बाजार की नीतियों और द्विपक्षीय वार्ताओं का असर भारतीय निर्यात पर स्पष्ट होगा। वाणिज्य विभाग सितंबर के व्यापार आंकड़े जल्द ही जारी करेगा, जिससे निर्यात पर शुल्क का वास्तविक प्रभाव देखा जा सकेगा।