IREL भारत में रेयर अर्थ खनन और प्रोसेसिंग बढ़ाकर चीन पर निर्भरता कम करने की योजना बना रही है। कंपनी जापान और दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर मैग्नेट का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करना चाहती है। इसके अलावा, IREL अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मलावी और म्यांमार में भी खनन अवसर तलाश रही है।
Rare Earth Magnet: भारत की सरकारी कंपनी IREL (Indian Rare Earths Limited) ने जापान और दक्षिण कोरिया की कंपनियों के साथ मिलकर रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है। इस कदम का उद्देश्य चीन पर निर्भरता घटाना है, जो दुनिया में रेयर अर्थ और उच्च-शुद्धता मैग्नेट के प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। IREL ने Toyotsu Rare Earths India से तकनीकी साझेदारी पर बातचीत शुरू की है और देश में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मलावी और म्यांमार में खनन अवसर भी तलाश रही है।
चीन का दबदबा और भारत की स्थिति
वर्तमान में भारत में रेयर अर्थ को उच्च-शुद्धता स्तर पर रिफाइन और अलग करने की बड़ी सुविधा मौजूद नहीं है। दुनिया में सबसे ज्यादा रेयर अर्थ चीन के पास हैं। इस साल अप्रैल में चीन ने इन धातुओं और उनसे बने मैग्नेट का निर्यात रोक दिया था, जिससे ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और सेमीकंडक्टर जैसी कई इंडस्ट्रीज की सप्लाई चेन प्रभावित हुई। इसी कारण भारत के लिए यह कदम अहम माना जा रहा है।
जापान और दक्षिण कोरिया के साथ तकनीकी सहयोग
IREL ने जापान की Toyota Tsusho की यूनिट Toyotsu Rare Earths India से भी संपर्क किया है। इस संपर्क का मकसद जापान की कंपनियों तक प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी की पहुंच बनाना है। शुरुआती बातचीत में यह भी चर्चा हुई कि कोई जापानी कंपनी भारत में ही प्रोसेसिंग प्लांट लगा सकती है।
IREL अपने तकनीकी साझेदार को नियोडिमियम ऑक्साइड उपलब्ध कराएगी। नियोडिमियम ऑक्साइड एक महत्वपूर्ण रेयर अर्थ तत्व है, जिससे मैग्नेट बनाए जाते हैं। इसके बाद मैग्नेट भारत को वापस भेजे जाएंगे। वर्तमान में IREL के पास हर साल लगभग 400-500 मीट्रिक टन नियोडिमियम बनाने की क्षमता है। साझेदारी के आधार पर इस क्षमता को बढ़ाने की संभावना भी है।
अन्य देशों में खनन के अवसर
IREL केवल भारत में ही नहीं बल्कि अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मलावी और म्यांमार में भी रेयर अर्थ खनन के अवसर तलाश रही है। भारत में रेयर अर्थ खनन का अधिकार केवल IREL के पास है। यह कंपनी विशेष रूप से परमाणु ऊर्जा और रक्षा से जुड़ी जरूरतों के लिए आवश्यक सामग्री मुहैया कराती है।
रेयर अर्थ मेटल की बढ़ती मांग
रेयर अर्थ मेटल का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। विशेषकर ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और हाइब्रिड वाहन उद्योग में इनकी मांग लगातार बढ़ रही है। भारत जैसे बड़े बाजार और खनन संसाधन वाला देश यदि प्रोसेसिंग तकनीक और मैग्नेट उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता है, तो यह वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत करेगा।
IREL की इस पहल से जापान और दक्षिण कोरिया जैसे तकनीकी रूप से मजबूत देशों के साथ सहयोग मजबूत होगा। इसके साथ ही भारत की तकनीकी विशेषज्ञता और उत्पादन क्षमता बढ़ाने का अवसर भी मिलेगा। यह कदम न केवल देश की अर्थव्यवस्था बल्कि रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में भी योगदान देगा।
चीन पर कम निर्भर रहना
IREL की योजना से भारत चीन पर अपनी निर्भरता कम करेगा और रेयर अर्थ मेटल के वैश्विक बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बनेगा। अन्य देशों में खनन के अवसर तलाशने से भारत के पास स्थायी स्रोत होंगे, जो लंबे समय तक आत्मनिर्भरता को मजबूत करेंगे।
IREL की नई रणनीति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रही है। यदि यह योजना सफल होती है, तो भारत आने वाले समय में रेयर अर्थ मेटल के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त करेगा।