यूक्रेनी ड्रोन हमलों से रूस का ईंधन निर्यात घटने के बाद भारत ने उसकी कमी पूरी की है। रिलायंस और नायरा एनर्जी ने ब्राजील, तुर्की, यूएई और अफ्रीका में सप्लाई बढ़ाई। सितंबर में भारत का रिफाइंड ईंधन निर्यात 14% बढ़कर 15.9 लाख बैरल प्रति दिन हो गया, जिससे भारत ने वैश्विक बाजार में अहम भूमिका निभाई।
Russias oil market: रूस की रिफाइनरियों पर यूक्रेनी ड्रोन हमलों के कारण मॉस्को ने ईंधन निर्यात घटा दिया, जिससे वैश्विक बाजार में कमी आ गई। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए भारत ने सितंबर 2025 में ब्राजील, तुर्की, यूएई और अफ्रीका के लिए ईंधन सप्लाई बढ़ाई। रिलायंस और नायरा एनर्जी के नेतृत्व में भारत का रिफाइंड ईंधन निर्यात अगस्त की तुलना में 14% बढ़कर 15.9 लाख बैरल प्रति दिन हो गया। यह कदम रूस के पारंपरिक खरीदारों के लिए विकल्प साबित हुआ और भारत की ऊर्जा आपूर्ति क्षमता को मजबूत किया।
रूस की परेशानी बनी भारत का मौका
केपलर के आंकड़ों के मुताबिक रूस ने सितंबर में अपने ईंधन निर्यात में करीब 2 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती की। इसका कारण रिफाइनरियों का बंद होना और डीजल व गैसोलीन पर लगाया गया निर्यात प्रतिबंध रहा। इस कमी ने वैश्विक बाजार में डीजल और पेट्रोल की मांग बढ़ा दी। भारत ने तुरंत सप्लाई बढ़ाकर इस कमी को भरने की कोशिश की।
किन देशों को मिली सप्लाई
ब्राजील और तुर्की जैसे देश रूस से बड़ी मात्रा में डीजल मंगाते थे। लेकिन रूस की सप्लाई घटने पर भारत ने इन देशों का रुख किया। ब्राजील को भारत का निर्यात अगस्त में जहां 40,000 बैरल प्रति दिन था, वही सितंबर में यह बढ़कर 97,000 बैरल प्रति दिन हो गया। तुर्की को सप्लाई भी 20,000 बैरल प्रति दिन से बढ़कर 56,000 बैरल प्रति दिन पहुंच गई। खास बात यह है कि पिछले साल सितंबर में तुर्की को भारत ने एक भी बैरल सप्लाई नहीं किया था।
रिलायंस और नायरा की बड़ी भूमिका
भारत से जाने वाली ज्यादातर सप्लाई रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से की गई। नायरा एनर्जी ने भी योगदान दिया, लेकिन उसका हिस्सा कम रहा। नायरा ने पिछले दो साल में तुर्की और ब्राजील जैसे बाजारों को सप्लाई नहीं की थी। हालांकि यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद उसने फिर से इन देशों को ईंधन भेजना शुरू कर दिया।
रूस पर यूक्रेनी हमलों का असर
यूक्रेन ने हाल के महीनों में रूस की रिफाइनरियों और पाइपलाइनों पर ड्रोन हमले तेज कर दिए हैं। इसकी वजह से रूस की रिफाइनिंग क्षमता प्रभावित हुई है और पेट्रोल-डीजल का उत्पादन घटा है। कई इलाकों में पंपों पर ईंधन की कमी और कीमतों में तेजी देखने को मिली है। कीव का मकसद रूस की तेल और गैस से होने वाली कमाई को कमजोर करना है।
यूएई और अफ्रीकी देशों को भी बढ़ी सप्लाई
ब्राजील और तुर्की के अलावा यूएई को भी भारत ने अधिक ईंधन भेजा। अगस्त में जहां 1.4 लाख बैरल प्रति दिन की सप्लाई थी, वही सितंबर में यह बढ़कर 2.01 लाख बैरल प्रति दिन हो गई। मिस्र और टोगो जैसे अफ्रीकी देशों में भी भारत ने निर्यात बढ़ाया। हालांकि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और मलेशिया को जाने वाली सप्लाई में कमी देखने को मिली।
भारत का कुल रिफाइंड ईंधन निर्यात सितंबर में 14 प्रतिशत बढ़ गया। यह बढ़कर 15.9 लाख बैरल प्रति दिन पहुंच गया। यह आंकड़ा बताता है कि भारत किस तेजी से वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी जगह मजबूत कर रहा है।
कच्चे तेल की स्थिति
ड्रोन हमलों और रिफाइनरियों के बंद होने से जहां रूस का रिफाइंड ईंधन निर्यात घटा है, वहीं कच्चा तेल निर्यात के लिए ज्यादा उपलब्ध हो गया है। इससे वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति बनी रही, लेकिन डीजल और पेट्रोल जैसे तैयार उत्पादों की कमी महसूस की गई।
भारत की बढ़ती पकड़
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि भारत अब सिर्फ एक बड़ा आयातक ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक अहम निर्यातक भी बन चुका है। निजी कंपनियों की सक्रियता और तेजी से बदलते हालात में सप्लाई एडजस्ट करने की क्षमता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया है।