भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) ने 249 कंपनियों को आकर्षित किया है, जो ₹1 लाख करोड़ से अधिक निवेश और 1.42 लाख नए रोजगार का वादा करती हैं। योजना का लक्ष्य 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को $500 अरब तक बढ़ाना है, जिससे आयात कम होंगे और लोकल प्रोडक्शन बढ़ेगा।
Electronics Sector: भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) ने बड़ी सफलता दिखाई है। 249 कंपनियों ने ₹1 लाख करोड़ से अधिक निवेश का प्रस्ताव दिया है और 1.42 लाख नए रोजगार का अनुमान लगाया गया है। योजना 2032 तक चलेगी और इसका उद्देश्य भारत में मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को $500 अरब तक बढ़ाना है, जिससे आयात घटेंगे और लोकल प्रोडक्शन का मूल्य बढ़ेगा।
योजना का उद्देश्य और महत्व
ECMS का मुख्य उद्देश्य भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को मजबूत करना और मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम जैसे उद्योगों में निवेश बढ़ाना है। सरकार ने 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को $500 अरब तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसमें 70 प्रतिशत तैयार उत्पादों से और 30 प्रतिशत घटक और उप-असेंबली से आएगा।
वर्तमान में भारत का कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन $135 अरब है, जिसमें से तैयार उत्पादों का हिस्सा 88 प्रतिशत है और घटक व उप-असेंबलियों का उत्पादन केवल $15 अरब है। इससे स्पष्ट है कि 2030 तक भारत को कंपोनेंट और उप-असेंबलियों का उत्पादन लगभग 10 गुना बढ़ाना होगा।
कंपनियों की भागीदारी और निवेश
ECMS योजना ने उद्योग जगत में गहरी दिलचस्पी पैदा की है। Dixon और Foxconn जैसी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के साथ-साथ Samvardhana Motherson और Uno Minda जैसी ऑटो पार्ट निर्माता कंपनियां भी योजना में शामिल हुई हैं। बड़े समूह जैसे Tata ने भी इस योजना में निवेश का प्रस्ताव रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत 2030 तक $100 अरब का उत्पादन भी हासिल करता है, तो यह मौजूदा उत्पादन का लगभग 6.6 गुना होगा।
आयात पर असर और उत्पादन क्षमता
वर्तमान में भारत में मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और अन्य उपकरणों के लिए आवश्यक कई कंपोनेंट्स का बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात होता है। उदाहरण के लिए, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स (PCB) का लगभग 88 प्रतिशत आयात किया जाता है। इसी तरह, लिथियम-आयन बैटरी, डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल भी आयात पर निर्भर हैं। ECMS योजना इन घटकों का उत्पादन भारत में करने पर जोर देती है। यदि सभी हिस्से भारत में ही तैयार किए जाएं, तो मोबाइल उत्पादन में भारत को होने वाला लाभ 18 प्रतिशत से बढ़कर 35-40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
ECMS को तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई। इसके बाद लगभग 12 महीने तक सरकारी अधिकारी, उद्योग संघ और कंपनियों के बीच 100 से अधिक बैठकें हुईं। अधिकारियों ने ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया का दौरा किया और भारत में 40-50 फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया। इससे उन्हें उत्पादन और लागत का वास्तविक अनुभव हुआ और निवेश के लिए प्राथमिकताएं तय की गईं।
प्रोत्साहन और लचीलापन
योजना में कंपनियों को अपने उत्पादन लक्ष्य तय करने की छूट दी गई है। साथ ही पूंजीगत निवेश (Capex) पर 25 प्रतिशत प्रोत्साहन भी प्रदान किया गया है। इससे छोटी और मध्यम कंपनियों के लिए योजना में भाग लेना आसान हुआ है।
मोबाइल उत्पादन और निर्यात
वित्त वर्ष 2025 में भारत में मोबाइल उत्पादन का मूल्य $65 अरब था, जिसमें से $24 अरब का हिस्सा निर्यात का था। Apple जैसी बड़ी कंपनियां भारत में उत्पादन बढ़ा रही हैं, लेकिन अभी केवल 20 प्रतिशत उत्पादन क्षमता भारत में ट्रांसफर हुई है। इससे पता चलता है कि भारत में मोबाइल निर्यात बढ़ाने की बड़ी संभावना मौजूद है। PLI योजना और ECMS के संयोजन से कंपनियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।