कोटा के जालिमपुरा स्कूल में पीटीआई ने अपनी रिश्तेदार को बिना खेले कबड्डी टीम में शामिल कर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भेज दिया। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कार्रवाई करते हुए पीटीआई को एपीओ करने के आदेश दिए और ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित कर दिया।
कोटा: राजस्थान के कोटा जिले के जालिमपुरा स्कूल में एक गंभीर कांड सामने आया है, जिसमें स्कूल के शारीरिक शिक्षक (पीटीआई) सुरेंद्र मीणा ने बिना खेल क्षमता दिखाए अपनी पत्नी की बहन अनुराधा मीणा को कबड्डी टीम में शामिल करवा दिया। मामला शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निरीक्षण दौरे के दौरान सामने आया।
मंत्री दिलावर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पीटीआई को एपीओ कर दिया और संबंधित बिसलाई ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित करने के आदेश दिए। मंत्री ने चार दिन में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी जारी किया।
मंत्री ने स्कूल का निरीक्षण किया
गुरुवार को मंत्री दिलावर सुल्तानपुर इलाके के स्कूलों और गांवों का दौरा कर रहे थे। जालिमपुरा स्कूल में उन्होंने छात्राओं और ग्रामीणों से जानकारी ली।
ग्रामीणों ने बताया कि पीटीआई ने अगस्त में अपनी रिश्तेदार को राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में चयन दिलवाया, जबकि वह स्कूल में कभी खेली ही नहीं थी। मंत्री ने छात्राओं से भी खेल और चयन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली और इस मामले को गंभीर मानते हुए तुरंत एपीओ और निलंबन की कार्रवाई की।
मंत्री ने स्कूल में जांच के आदेश दिए
मंत्री ने शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक रूप सिंह को आदेश दिए कि पीटीआई को तत्काल एपीओ किया जाए। उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही मंत्री ने जालिमपुरा स्कूल के एक डेपुटेशन पर तैनात शिक्षक और एलडीसी को रिलीव करने और स्कूल में कार्यभार संभालने के निर्देश दिए। यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया।
पंचायतों और विकास अधिकारियों को फटकार लगाई
मंत्री दिलावर ने निरीक्षण के दौरान दीगोद, डूंगरज्या, निमोदा, मोरपा, बिसलाई, किशोरपुरा और जालिमपुरा पंचायतों में सफाई और शिक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने सड़कों और नालियों में गंदगी देखकर संबंधित ग्राम विकास अधिकारियों और सरपंचों को फटकार लगाई और तत्काल सफाई करवाने के आदेश दिए।
मंत्री का कहना था कि पंचायतों में सफाई और शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विकास अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों और ग्रामीणों के लिए बेहतर वातावरण सुनिश्चित करें।