नवी मुंबई में नवनिर्मित एयरपोर्ट का नामकरण एक बार फिर चर्चा में है। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल एयरपोर्ट के संचालन को प्राथमिकता दी जाएगी और नामकरण पर निर्णय सर्वसम्मत और उचित प्रक्रिया के बाद लिया जाएगा।
मुंबई: नवनिर्मित नवी मुंबई हवाई अड्डे के नामकरण को लेकर चल रही बहस के बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि फिलहाल सबसे जरूरी है कि एयरपोर्ट पूरी तरह कार्यरत हो जाए। उन्होंने बताया कि उड़ान और लैंडिंग लगभग 45 दिनों में शुरू होने की उम्मीद है। पवार ने यह भी कहा कि स्थानीय नागरिकों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा और इस मामले पर मुख्यमंत्री पहले ही जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर चुके हैं।
उड़ान शुरू होने के बाद नामकरण पर फैसला
अजीत पवार ने कहा कि नवी मुंबई हवाई अड्डा लगभग 45 दिनों में उड़ान और लैंडिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा। उनका कहना है कि पहले एयरपोर्ट को संचालन योग्य बनाना सबसे अहम है, ताकि मुंबई क्षेत्र की हवाई सेवाओं पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सके। उपमुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि नामकरण की प्रक्रिया में स्थानीय लोगों की भावनाओं और परंपराओं का पूरा सम्मान किया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पहले ही इस मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों और स्थानीय समुदाय के साथ चर्चा कर चुके हैं। अजीत पवार ने कहा, सबसे जरूरी है कि एयरपोर्ट पूरी तरह कार्यरत हो जाए। इसके बाद नामकरण पर विस्तृत चर्चा और सर्वसम्मत निर्णय लिया जाएगा।
स्थानीय लोगों की भावनाओं का ध्यान
नामकरण विवाद पर उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि सरकार का प्रयास है कि स्थानीय नागरिकों की भावनाओं को पूरी तरह समझा जाए और उन्हें सम्मान दिया जाए। अजीत पवार ने कहा कि कोई भी निर्णय तभी लिया जाएगा जब जनता और संबंधित पक्षों की राय का पूरा ध्यान रखा गया हो। उनका यह बयान राज्य में नागरिकों और मध्यम वर्ग के बीच विश्वास और संवाद की भावना को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने पुणे में आयोजित एक ‘परिवार मिलन’ कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम सरकार को जनता की वास्तविक समस्याओं को समझने का अवसर देते हैं। पवार ने बताया कि इसमें कार्यकर्ता, महिलाएं और समाज के विभिन्न वर्ग के लोग शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, समस्याओं को केवल सुनने और खुद देखकर समझने में बड़ा अंतर होता है। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों का महत्व बढ़ जाता है।