भारत के युवाओं में स्टार्टअप शुरू करने का उत्साह तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सही मार्गदर्शन, कानूनी जानकारी और फंडिंग की कमी उनकी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालिया अध्ययन में पाया गया कि चार में से तीन छात्र उद्यमिता का सपना देखते हैं, हालांकि असफलता का डर भी उन्हें कदम बढ़ाने से रोकता है।
भारत में स्टार्टअप संस्कृति: भारत में युवाओं में स्टार्टअप की ओर झुकाव लगातार बढ़ रहा है, और हालिया अध्ययन में सामने आया कि चार में से तीन यूनिवर्सिटी छात्र अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। यह शोध देशभर में किया गया, जिसमें छात्रों ने बताया कि सही दिशा, मेंटरशिप और कानूनी जानकारी की कमी सबसे बड़ी रुकावट है। करीब 22 प्रतिशत युवाओं के सामने फंडिंग का संकट है, जबकि असफलता का डर भी एक प्रमुख वजह है। रिपोर्ट बताती है कि विश्वविद्यालयों की भूमिका अहम है, लेकिन मौजूदा इनक्यूबेशन सुविधाएं अभी भी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रहीं।
स्टार्टअप की ओर युवाओं का झुकाव बढ़ा
अध्ययन के अनुसार चार में से तीन यूनिवर्सिटी छात्र भविष्य में अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। यह बदलाव दिखाता है कि नई पीढ़ी सिर्फ नौकरी की खोज में नहीं है, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान करने वाले आइडिया पर काम करने को तैयार है।
रिसर्च में सामने आया कि युवा सिर्फ मुनाफे पर नहीं, बल्कि नवाचार और पारदर्शिता के साथ सामाजिक प्रभाव को भी अहम मानते हैं। उनकी सोच में बिजनेस के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का लक्ष्य शामिल है।

क्या है सबसे बड़ी रुकावट
स्टार्टअप शुरू करने की चाह रखने वाले 35 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि सही दिशा और मेंटरशिप की कमी उनकी सबसे बड़ी समस्या है। वहीं 24 प्रतिशत को कानूनी और वित्तीय जानकारी की कमी परेशान कर रही है।
सर्वे में यह भी पता चला कि 22 प्रतिशत छात्रों के पास पर्याप्त फंडिंग नहीं है। इसके अलावा असफलता का डर और पढ़ाई तथा स्टार्टअप के बीच संतुलन बनाने की मुश्किलें भी सामने आई हैं।
यूनिवर्सिटी की भूमिका पर सवाल
अध्ययन में छात्र इस बात से सहमत दिखे कि विश्वविद्यालयों की भूमिका स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि केवल 9.6 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि मौजूदा यूनिवर्सिटी इनक्यूबेशन सेंटर वास्तव में प्रभावी हैं।
करीब आधे छात्रों ने इस बात की पुष्टि की कि उनकी यूनिवर्सिटी ने कुछ हद तक स्टार्टअप सपोर्ट दिया, जबकि 89 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि कोर्स में नैतिकता और वित्तीय शिक्षा शामिल होनी चाहिए।
रिपोर्ट यह साफ करती है कि भारत के युवाओं में स्टार्टअप के लिए जोश और विजन की कमी नहीं है, बल्कि सिस्टम और मार्गदर्शन की जरूरत ज्यादा है। सही दिशा, मजबूत मेंटरशिप और फंडिंग सपोर्ट के साथ भारत में नई पीढ़ी वैश्विक स्तर पर उद्यमिता का बड़ा चेहरा बन सकती है।













