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Khatu Shyam Ji: देवउठनी एकादशी पर मनाया जा रहा हारे के सहारे का जन्मोत्सव, जानें क्यों खास है ये दिन?

Khatu Shyam Ji: देवउठनी एकादशी पर मनाया जा रहा हारे के सहारे का जन्मोत्सव, जानें क्यों खास है ये दिन?

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर (Khatu Shyam Mandir) देशभर में अपनी आस्था और श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध है। भक्त इन्हें “हारे का सहारा”, “तीन बाणधारी”, और “शीश के दानी” जैसे कई नामों से पूजते हैं।

Khatu Shyam Birthday 2025: सीकर भक्ति, आस्था और प्रेम के प्रतीक खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव आज पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जिसे देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) कहा जाता है, के दिन खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव (Khatu Shyam Ji Birthday 2025) धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

भक्त बाबा श्याम के दरबार में ‘श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम’ जैसे भजनों की गूंज के बीच मत्था टेकते हैं और अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं।

कौन हैं खाटू श्याम जी?

खाटू श्याम जी का वास्तविक नाम बर्बरीक था — वे महाभारत के वीर घटोत्कच के पुत्र और पांडव भीम के पोते थे। बर्बरीक अपनी वीरता और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे। कथा के अनुसार, उन्होंने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान किया था, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में उनकी पूजा ‘श्याम नाम’ से होगी और वे ‘हारे के सहारे’ बनकर भक्तों के सभी दुख दूर करेंगे। इसलिए ही उन्हें तीन बाणधारी, हारे का सहारा, और शीश के दानी जैसे नामों से जाना जाता है।

खाटू श्याम मंदिर का महत्व

राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित यह प्राचीन मंदिर देशभर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद बर्बरीक का शीश यहीं भूमि के नीचे दबा था, जिसे बाद में खोजकर मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की अनूठी झलक दिखाती है। संगमरमर से बने द्वार, कलात्मक नक्काशी और स्वर्ण जड़ित शिखर इसे देखने वालों को भक्ति और सौंदर्य का एक अद्भुत अनुभव देते हैं।

देवउठनी एकादशी पर क्यों खास होता है खाटू श्याम जन्मोत्सव

देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के चार महीने के योग निद्रा से जागने का दिन माना जाता है। इसी दिन से विवाह, धार्मिक अनुष्ठान और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इसी शुभ दिन बाबा श्याम का अवतरण हुआ था, ताकि कलियुग में भक्तों के दुख हर सकें और उन्हें सत्य मार्ग दिखा सकें।खाटू धाम में इस दिन विशेष झांकी, भव्य आरती, और श्री श्याम नाम संकीर्तन का आयोजन होता है। हजारों भक्त बाबा श्याम के ‘जन्मोत्सव मेला’ में भाग लेकर भक्ति में लीन हो जाते हैं।

मंदिर जाकर जरूर करें ये कार्य

यदि आप इस शुभ अवसर पर खाटू श्याम मंदिर जा रहे हैं, तो ये कार्य अवश्य करें ताकि आपकी यात्रा सफल हो और बाबा श्याम की कृपा बनी रहे:

  • गुलाब के फूल, इत्र और नारियल बाबा श्याम को अर्पित करें — ये उनके प्रिय माने जाते हैं।
  • चूरमा, खीर या गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं — यह बाबा का मनपसंद प्रसाद है।
  • बाबा के दरबार में “जय श्री श्याम” का जप करते हुए मन की इच्छाओं का संकल्प लें।
  • श्री श्याम जी की आरती और नाम संकीर्तन में शामिल होकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करें।
  • यदि संभव हो तो मंदिर परिसर में दीपदान करें — यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।

भक्ति से मिलेगा ‘हारे के सहारे’ का आशीर्वाद

मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा श्याम का स्मरण करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। चाहे जीवन में कितनी ही कठिनाइयाँ क्यों न हों, “हारे के सहारे श्याम” भक्तों के दुख हर लेते हैं और उन्हें नए उत्साह से भर देते हैं। खाटू श्याम जी के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होता है। आज न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, यूके, दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में भी खाटू श्याम मंदिर और भजन संकीर्तन मंडलियां सक्रिय हैं।

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