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स्मिता पाटिल ने क्यों ठुकराया बारिश में रोमांटिक सीन, अमिताभ के साथ शूट करते समय क्या बोलीं

स्मिता पाटिल ने क्यों ठुकराया बारिश में रोमांटिक सीन, अमिताभ के साथ शूट करते समय क्या बोलीं

स्मिता पाटिल हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री थीं, जिन्होंने आर्ट और कमर्शियल फिल्मों में मुकाम बनाया। हालांकि नमक हलाल जैसी सुपरहिट फिल्म से मिली लोकप्रियता के बावजूद वह व्यावसायिक फिल्मों के फॉर्मेट में सहज नहीं थीं। अमिताभ बच्चन संग रोमांटिक गाने की शूटिंग के दौरान उनकी असहजता ने उनके कला-आधारित अभिनय मूल्यों को और स्पष्ट किया।

स्मिता पाटिल: स्मिता पाटिल ने हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई, लेकिन कमर्शियल फिल्मों के ग्लैमर से वह हमेशा दूरी रखना चाहती थीं। एक इंटरव्यू के अनुसार, मुंबई में फिल्म नमक हलाल की शूटिंग के दौरान सुपरस्टार अमिताभ बच्चन संग बारिश में रोमांटिक गाना फिल्माते समय वह असहज महसूस कर रही थीं। यह घटना बताती है कि वह सिर्फ गुणवत्ता और संवेदनशील सिनेमा को ही असली कला मानती थीं और व्यावसायिक सिनेमा में अपनी रचनात्मक पहचान खोने से डरती थीं।

स्मिता पाटिल क्यों थीं असहज रोमांटिक सीन्स में

नमक हलाल स्मिता पाटिल के करियर की बड़ी कमर्शियल हिट थी, जिसने उन्हें आम दर्शकों के बीच भी खास पहचान दिलाई। इसके बावजूद बारिश में फिल्माए गए इस रोमांटिक गाने को शूट करते समय वह कॉन्फर्टेबल नहीं थीं। अमिताभ बच्चन ने बताया था कि स्मिता की चिंता यह थी कि यह शैली उनके व्यक्तित्व और उनके बनाए सिनेमाई स्टैंडर्ड से मेल नहीं खाती।

स्मिता लंबे समय तक आर्ट सिनेमा की दुनिया में रहीं और अपने गंभीर किरदारों से दर्शकों और समीक्षकों का सम्मान हासिल किया। वह मानती थीं कि व्यावसायिक फिल्मों की चमक में अक्सर कलाकार की असली पहचान धुंधली हो जाती है। यही वजह थी कि नमक हलाल जैसी सफलता के बाद भी उन्हें इस अप्रोच का अफसोस रहा।

कमर्शियल फिल्मों को लेकर क्या सोचती थीं स्मिता

स्मिता पाटिल ने मंथन, अर्ध सत्य, भूमिका, निशांत और मंडी जैसी फिल्मों में स्त्री संवेदनाओं, संघर्ष और सामाजिक यथार्थ को बारीकी से परदे पर उतारा। आर्ट सिनेमा में अपने बेहतरीन योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्होंने खुद कहा था कि व्यावसायिक फिल्मों का दायरा कलाकार को सीमित कर सकता है।

मथरूभूमि को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट कहा था कि कमर्शियल सिनेमा में पहचान मिलना आसान है लेकिन एक बार इस दायरे में कदम रखने के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। उनकी चिंता यह थी कि लोग उनके दशक भर के आर्ट सिनेमा योगदान को भूलकर सिर्फ नमक हलाल से जोड़कर देखने लगे।

अमिताभ संग यह काम करना क्यों था मुश्किल

अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन शेयर करना उस दौर के लिए किसी भी अभिनेत्री के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी। इसके बावजूद स्मिता पाटिल ने अपने विचारों के साथ समझौता नहीं किया। आज रपट जाए गाना सुपरहिट हुआ, लेकिन स्मिता ने बाद में खुद कहा था कि यह उनकी कलात्मक पहचान के अनुरूप नहीं था।

यह घटना बताती है कि स्मिता अपने अभिनय सिद्धांतों पर अडिग रहीं। वह सिर्फ लोकप्रियता के लिए अपने सिनेमाई मूल्यों का त्याग नहीं करना चाहती थीं। यही उनकी शख्सियत को अलग बनाता है और आज भी सिनेमा प्रेमी उन्हें विशेष सम्मान देते हैं।

स्मिता पाटिल की यह सोच बताती है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संवेदना और प्रतिबद्धता का माध्यम भी है। उनका करियर उन कलाकारों के लिए मिसाल है जो गुणवत्ता के लिए लोकप्रियता पर समझौता नहीं करते। उनकी यादें और काम आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।

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