भारत ने 7 नैनोमीटर प्रोसेसर डिजाइन कर इतिहास रच दिया है, जिससे देश उन्नत सेमीकंडक्टर डिजाइन करने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो घरेलू उद्योगों को बल देने, विदेशी निवेश आकर्षित करने और भारत को वैश्विक चिप डिजाइन केंद्र के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखती है।
Semiconductor Mission: 18 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि भारत ने सफलतापूर्वक 7 नैनोमीटर प्रोसेसर डिजाइन कर लिया है। यह सफलता भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत हुए निरंतर अनुसंधान और नवाचार का परिणाम है। 76,000 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत देश भर में कई परियोजनाएं चल रही हैं। यह मील का पत्थर भारत को अमेरिका, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की श्रेणी में लाता है और सेमीकंडक्टर डिजाइन में भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करता है।
सेमीकंडक्टर मिशन का असर दिखा
18 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा की। उन्होंने बताया कि भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने उन्नत नोड सेमीकंडक्टर डिजाइन की तकनीक में महारत हासिल की है। यह उपलब्धि भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत किए जा रहे निरंतर प्रयासों का परिणाम है।
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपये के इस मिशन की शुरुआत की थी। इसके तहत देश के छह राज्यों में करीब 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 10 सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
क्या है 7 नैनोमीटर प्रोसेसर की खासियत
सेमीकंडक्टर चिप को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिल कहा जा सकता है। यह चिप जितनी छोटी होती है, उसकी प्रोसेसिंग क्षमता उतनी ही तेज और ऊर्जा खपत उतनी ही कम होती है। 7 नैनोमीटर का मतलब है कि चिप पर मौजूद ट्रांजिस्टर का आकार बेहद सूक्ष्म है।
ऐसे प्रोसेसर कम बिजली में अधिक गति से काम कर सकते हैं। इससे स्मार्टफोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, मेडिकल उपकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बड़ी क्रांति आ सकती है। ये चिप्स भविष्य के स्मार्ट डिवाइस को और अधिक शक्तिशाली, ऊर्जा-कुशल और टिकाऊ बनाएंगे।
डिजाइन में भारत की बढ़ती ताकत
पिछले एक दशक में भारत ने चिप डिजाइन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। देश में डिजाइन टैलेंट को बढ़ावा देने और अनुसंधान के लिए मजबूत आधार तैयार किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना के तहत अब तक 288 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों को सहायता दी गई है।
इस पहल का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक युवा चिप डिजाइन और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में अपनी प्रतिभा दिखा सकें। इसके साथ ही कई भारतीय स्टार्टअप और टेक कंपनियां अब वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर डिजाइन में योगदान दे रही हैं।
तकनीक की रीढ़ बन चुके हैं सेमीकंडक्टर
आज की डिजिटल दुनिया में सेमीकंडक्टर हर तकनीक की रीढ़ बन चुके हैं। चाहे बात मोबाइल फोन की हो, कंप्यूटर की, या फिर इलेक्ट्रिक वाहनों की, हर आधुनिक उपकरण इन्हीं चिप्स पर निर्भर करता है।
सेमीकंडक्टर प्रोसेसर हर सेकंड अरबों डेटा इंस्ट्रक्शन को प्रोसेस करते हैं। इससे रियल-टाइम प्रोसेसिंग, बेहतर प्रदर्शन और ऊर्जा दक्षता हासिल होती है। यही वजह है कि 7 नैनोमीटर जैसी तकनीक को भविष्य की नींव माना जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
भारत का यह 7nm प्रोसेसर डिजाइन देश को अमेरिका, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे तकनीकी दिग्गजों की श्रेणी में खड़ा करता है। अब भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो उन्नत नोड डिजाइन में सक्षम हैं।
यह उपलब्धि भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन का एक भरोसेमंद और स्थायी भागीदार बना सकती है। साथ ही इससे विदेशी निवेशक भी भारत की ओर आकर्षित होंगे, क्योंकि अब देश के पास न सिर्फ डिजाइन क्षमता है बल्कि उत्पादन और अनुसंधान का मजबूत ढांचा भी तैयार हो रहा है।