बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब 'नाम बदलने' वाली सियासत की एंट्री हो गई है। बिहार में बीजेपी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फॉर्मूले पर चलने को तैयार है। इसकी झलक झारखंड के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के कटिहार दौरे के दौरान देखने को मिली।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में नाम बदलने और धार्मिक पहचान को चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाने की सियासी रणनीति अब जोर पकड़ रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपनाए गए ‘धार्मिक शहर’ फॉर्मूले से प्रेरित होकर, बिहार की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी इसी राह पर चलने की तैयारी कर रही है। इस रणनीति की झलक झारखंड के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के हालिया कटिहार दौरे के दौरान देखने को मिली।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को कटिहार जिले का दौरा किया और स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने आजमनगर को ‘धर्मनगरी’ बनाने का वादा किया, जो कि प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है।
निशिकांत दुबे का बड़ा वादा
निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा, “बिहार चुनाव, कटिहार-पूर्णिया के परिणामों के बाद कटिहार जिले के आजमनगर का नाम धर्मनगरी कर दिया जाएगा।” इस ट्वीट के साथ उन्होंने तस्वीरें भी साझा कीं, जिसमें बीजेपी प्रत्याशी निशा सिंह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। निशा सिंह को प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने फिर से उम्मीदवार बनाया है और उन पर दूसरी बार भरोसा जताया गया है।
यूपी में योगी आदित्यनाथ का फॉर्मूला
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई शहरों के नाम बदलकर उन्हें धार्मिक पहचान देने का काम किया था। उदाहरण के तौर पर:
- इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज
- फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या
- शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी
योगी आदित्यनाथ का यह फॉर्मूला बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति में सफल साबित हुआ और अब बिहार में भी इसी तरह के कदम उठाने की तैयारी हो रही है।
प्राणपुर विधानसभा और आजमनगर
आजमनगर प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,26,204 है, जिसमें 1,70,382 पुरुष और 1,55,817 महिला मतदाता शामिल हैं। क्षेत्र की प्रमुख पहचान गोरखनाथ मंदिर है, जो स्थानीय संस्कृति और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र भी माना जाता है। बीजेपी के लिए यह क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां का मतदाता पैटर्न और धार्मिक भावना चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है। निशिकांत दुबे ने प्राणपुर क्षेत्र में धार्मिक पहचान के आधार पर चुनाव प्रचार को तेज करने की योजना बनाई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नाम बदलने और धार्मिक पहचान को चुनावी मुद्दा बनाने की रणनीति कई राज्यों में बीजेपी द्वारा अपनाई जा चुकी है। बिहार में यह रणनीति इस बात का संकेत देती है कि पार्टी स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को ध्यान में रखते हुए चुनावी कैंपेन को और सशक्त बनाने की कोशिश कर रही है।