अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव को कम करने में अपनी भूमिका का दावा किया है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव घटाने में मध्यस्थता की कोशिश की और उसमें सफलता भी मिली है।
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में कथित सैन्य तनाव के शांत होने के बाद एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है। ट्रंप ने हाल ही में एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने ही भारत-पाक युद्ध को रोका था, और अब तक महज 59 दिनों में 21 बार ऐसे बयान दे चुके हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी को लेकर सवाल उठाया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सार्वजनिक प्रतिक्रिया की मांग की है।
ट्रंप बोले - 'भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध को मैंने रोका'
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा, मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हालात इतने बिगड़ गए थे कि वो परमाणु युद्ध में बदल सकते थे। मेरे हस्तक्षेप और अमेरिका के व्यापार दबाव के कारण दोनों देशों ने शांति की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया था कि अगर युद्ध नहीं रुका, तो अमेरिकी मार्केट्स से उन्हें हाथ धोना पड़ेगा।
ट्रंप का दावा है कि एक संभावित परमाणु टकराव को उन्होंने टाल दिया और अब वह जल्द ही भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार समझौता करने की योजना बना रहे हैं।
कांग्रेस का तीखा हमला: चुप क्यों हैं प्रधानमंत्री मोदी?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्रंप के इन बयानों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया: 59 दिनों में 21 बार ट्रंप ने यह दावा किया है कि उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान युद्ध रोका। यह चिंता का विषय है। भारत के प्रधानमंत्री कब इस पर जवाब देंगे?
जयराम रमेश ने कहा कि अगर ट्रंप का दावा सही है, तो यह भारत की सैन्य और कूटनीतिक संप्रभुता पर सीधा सवाल है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ट्रंप इस मुद्दे को बार-बार चुनावी मंचों पर उठा रहे हैं और यह भारतीय जनता के सम्मान से जुड़ा मामला बन चुका है।
भारत की चुप्पी या कूटनीतिक शालीनता?
भारत सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने केवल इतना कहा कि मई में पाकिस्तान के डीजीएमओ (DGMO) ने संपर्क साधा था, और उसी के बाद तनाव कम करने पर विचार किया गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनज़र ट्रंप की बयानबाज़ी को अनदेखा करना चाहती है ताकि भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई विपरीत असर न पड़े। पर विपक्ष इसे कमज़ोरी या कूटनीतिक विफलता के तौर पर पेश कर रहा है।
सवाल जिनका जवाब चाहिए
- अगर ट्रंप का दावा सच है, तो भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान क्यों नहीं आया?
- क्या अमेरिका ने सच में व्यापारिक दबाव बनाकर भारत को युद्ध से रोका?
- क्या भारत की कूटनीति इतनी निर्बल हो गई कि एक विदेशी नेता लगातार उस पर बयानबाज़ी कर रहा है?
- अगर यह झूठ है, तो भारत सरकार ट्रंप के दावों का खंडन क्यों नहीं कर रही?
डोनाल्ड ट्रंप की लगातार बयानबाज़ी जहां एक ओर अमेरिका की चुनावी राजनीति का हिस्सा हो सकती है, वहीं भारत में यह कूटनीतिक गरिमा और राष्ट्रीय सम्मान का प्रश्न बन गई है।