भारतीय नौसेना अब और भी अधिक सशक्त होने जा रही है। इसके लिए सबसे बड़ी मिसाल है नया एंटी-सबमरीन युद्धपोत (Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft – ASW-SWC) 'आईएनएस एंड्रोट', जो आज, 6 अक्टूबर 2025 को नौसेना के बेड़े में शामिल हो रहा है।
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना को सोमवार, 6 अक्टूबर 2025, को पंडुब्बी-रोधी युद्धपोत 'आईएनएस एंड्रोट' मिल रहा है। यह नौसेना का दूसरा उथले पानी का एंटी-सबमरीन वॉरशिप (ASW-SWC) है और विशाखापत्तनम में इसे नौसेना में शामिल किया जा रहा है। यह युद्धपोत अपनी अत्याधुनिक क्षमताओं और उपकरणों की वजह से एंटी-सबमरीन युद्ध में दुश्मनों के लिए चुनौती साबित होने वाला है। इसमें लगे उन्नत सेंसर और सोनार सिस्टम दुश्मन की संदिग्ध गतिविधियों का आसानी से पता लगाने और उन्हें मौके पर ही निष्क्रिय करने में सक्षम हैं।
आईएनएस एंड्रोट: नाम का महत्व
नौसेना ने इस युद्धपोत का नाम लक्षद्वीप के एंड्रोट द्वीप के नाम पर रखा है। यह द्वीप 4.90 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के साथ लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है। इसकी लंबाई 4.66 किलोमीटर और अधिकतम चौड़ाई 1.43 किलोमीटर है। एंड्रोट द्वीप भारत की मुख्य भूमि के सबसे नजदीकी द्वीपों में से एक है और इसमें एक छोटा लैगून भी है। इस नामकरण का प्रतीकात्मक महत्व भी है, क्योंकि यह युद्धपोत अपने पूर्ववर्ती आईएनएस एंड्रोट (P69) की जगह लेगा, जो 27 साल की शानदार सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुआ।
अत्याधुनिक तकनीक और हथियार
आईएनएस एंड्रोट लंबाई में 77.6 मीटर का विशाल युद्धपोत है और भारतीय नौसेना का अब तक का सबसे बड़ा उथले पानी का एंटी-सबमरीन युद्धपोत है। इसमें डीजल इंजन और वॉटरजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे तेज गति और बेहतर गति नियंत्रण प्रदान करता है। युद्धपोत में लगाए गए हल्के टॉरपीडो और स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट इसे किसी भी दुश्मन पनडुब्बी को खतरनाक रूप से खत्म करने में सक्षम बनाते हैं। इसके साथ ही उन्नत उथले पानी का सोनार (SONAR) और सेंसर सिस्टम दुश्मन की संदिग्ध गतिविधियों का सटीक पता लगाने में मदद करता है। इस प्रकार, आईएनएस एंड्रोट तटीय इलाकों में दुश्मन की किसी भी घुसपैठ को तुरंत रोकने में सक्षम है।
आईएनएस एंड्रोट केवल एंटी-सबमरीन युद्ध में ही नहीं बल्कि समुद्री निगरानी, खोज और बचाव मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसकी बहुमुखी क्षमताओं के कारण यह नौसेना के लिए एक रणनीतिक शक्ति साबित होगा।
भारतीय नौसेना की नई ताकत
आईएनएस एंड्रोट का निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में किया गया है। इसमें प्रयुक्त लगभग 80% उपकरण और कल-पुर्जे भारत में ही बने हैं। यह जहाज न केवल नौसेना की शक्ति बढ़ाता है, बल्कि देश की शिपबिल्डिंग और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर भी है। इसके अलावा, इसमें माइन रेल्स, उन्नत संचार प्रणाली, और आधुनिक प्रपल्शन तकनीक भी शामिल हैं, जो इसे समुद्र में दुश्मन के खतरों का शीघ्र पता लगाने, उनका ट्रैक रखने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाती हैं।
आईएनएस एंड्रोट के बेड़े में शामिल होने के साथ ही भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता में और वृद्धि हुई है। हाल के वर्षों में नौसेना में शामिल किए गए अन्य युद्धपोतों में आईएनएस अर्नाला, आईएनएस निस्तार, आईएनएस उदयगिरि, और आईएनएस नीलगिरी शामिल हैं। इन सभी जहाजों की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण ने भारत की समुद्री सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को मजबूती प्रदान की है।