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भ्रष्टाचार से कमाए धन पर प्रेमानंद महाराज की सीख, सुनाई प्रेरक कहानी

भ्रष्टाचार से कमाए धन पर प्रेमानंद महाराज की सीख, सुनाई प्रेरक कहानी

वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने प्रवचन के दौरान अनैतिक और भ्रष्टाचार से कमाए धन को “विष के समान” बताया। उन्होंने कहा कि अधर्म की कमाई व्यक्ति की बुद्धि को दूषित कर देती है और अंततः उसका विनाश करती है। महाराज ने एक कहानी के माध्यम से समझाया कि लालच और अपवित्र माया का अंत हमेशा दुखद होता है।

Premanand Maharaj Pravachan: वृंदावन में हुए प्रवचन के दौरान संत प्रेमानंद महाराज ने लोगों को धर्मपूर्वक कमाई करने की सलाह दी। उन्होंने एक व्यक्ति के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जो लोग भ्रष्टाचार या अधर्म से धन कमाते हैं, वे भले ही कुछ समय सुख भोग लें, लेकिन अंत में विनाश झेलते हैं। महाराज ने एक प्रेरक कहानी सुनाते हुए समझाया कि अनैतिक धन इंसान की बुद्धि को नष्ट कर देता है और परिवार तक को प्रभावित कर देता है।

अधर्म की कमाई को बताया विष के समान

वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में प्रवचन के दौरान अनैतिक धन कमाने वालों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और अधर्म से कमाया गया पैसा अंततः विनाश का कारण बनता है। यह व्यक्ति की बुद्धि को दूषित कर देता है और धीरे-धीरे जीवन को बर्बाद कर देता है। महाराज ने कहा कि जो लोग गलत तरीके से धन अर्जित करते हैं, वे कुछ समय तक उसका भोग तो करते हैं, लेकिन उसका परिणाम हमेशा दुखद होता है।

युवक के सवाल पर दिया जवाब और सुनाई प्रेरक कहानी

प्रेमानंद महाराज से एक व्यक्ति ने कहा कि वह जानबूझकर अनैतिक तरीके से पैसा कमाता है, क्योंकि सभी ऐसा ही कर रहे हैं। इस पर महाराज ने उसे समझाते हुए कहा कि अधर्म की कमाई विष के समान है, जो अंत में व्यक्ति को नष्ट कर देती है। उन्होंने एक उदाहरण के रूप में एक कहानी सुनाई एक संत और उनके शिष्य की, जिन्होंने सड़क किनारे पड़ी अशर्फियों की पोटली देखी। संत ने उसे जहर बताया, लेकिन कुछ सैनिकों ने उसे उठा लिया। लालच में फंसे सैनिकों ने एक-दूसरे को मारने की साजिश की और अंत में सभी मर गए। महाराज ने कहा कि यही अपवित्र माया का स्वभाव है जो लालच देती है और फिर नाश कर देती है।

धर्मपूर्वक कमाने की दी सीख

प्रेमानंद महाराज ने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखें और हमेशा धर्मपूर्वक कमाएं। उन्होंने कहा कि बेईमानी या अधर्म का धन न तो सुख देता है और न ही स्थायी होता है। अगर किसी के पास ऐसा धन आ भी गया है, तो उसे गौशाला, अस्पताल या गरीबों की सेवा में दान कर देना चाहिए। इससे न केवल आत्मिक शांति मिलेगी, बल्कि परिवार और आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी सुरक्षित रहेगा।

प्रेमानंद महाराज का संदेश साफ है कि अधर्म की कमाई भले ही तुरंत सुख दे, लेकिन उसका परिणाम हमेशा दुखद होता है। उन्होंने कहा कि धर्म से अर्जित धन ही परिवार को सुखी और जीवन को संतुलित रख सकता है।

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