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भविष्य के युद्ध होंगे तकनीक आधारित, CDS चौहान ने दी तैयारी की सलाह

भविष्य के युद्ध होंगे तकनीक आधारित, CDS चौहान ने दी तैयारी की सलाह

CDS अनिल चौहान ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सशस्त्र बलों ने कई महत्वपूर्ण रणनीतिक और तकनीकी सबक सीखे हैं। उन्होंने थिएटराइजेशन मॉडल को मजबूत करने, तकनीकी बढ़त बनाए रखने और भविष्य की गतिशील युद्ध चुनौतियों के लिए तैयारी बढ़ाने की बात कही।

New Delhi: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान ने पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि इस ऑपरेशन के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने कई अहम सबक सीखे हैं। अब जरूरत है कि इन्हें योजनाबद्ध थिएटराइजेशन मॉडल में शामिल किया जाए। CDS चौहान के अनुसार, भारत के पास पाकिस्तान के हर क्षेत्र में ISR यानी खुफिया, निगरानी और टोही की मजबूत व्यवस्था के साथ-साथ युद्धक क्षमता भी होनी चाहिए।

इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव में दिए विचार

CDS अनिल चौहान रक्षा से जुड़े थिंक टैंक भारत शक्ति द्वारा आयोजित इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2025 में बोल रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए यह स्थिति अब नई सामान्य स्थिति जैसी है। उनका कहना था कि भारतीय सेना को हर समय मजबूत अभियानगत तैयारी रखनी होगी, क्योंकि यह बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा कि वायु रक्षा को मजबूत करने, मानवरहित हवाई प्रणाली (UAS) से निपटने और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। उनका कहना है कि आने वाले समय में युद्ध इसी प्रकृति के हो सकते हैं, इसलिए तैयारी भी उसी स्तर पर रहनी चाहिए।

दुश्मन से तकनीकी बढ़त जरूरी

अपने बयान में CDS चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि तकनीकी तौर पर भारत को हमेशा प्रतिद्वंद्वी से आगे रहना होगा। उन्होंने कहा कि पहले किए गए अभियान में सिर्फ स्थिर लक्ष्यों पर निशाना साधा गया था। लेकिन भविष्य के अभियानों में गतिशील लक्ष्यों पर कार्रवाई की आवश्यकता पड़ सकती है। इस बदलाव के लिए तकनीक और तैयारी, दोनों में सुधार अनिवार्य है।

थिएटराइजेशन मॉडल में बदलाव की जरूरत

CDS चौहान ने संयुक्त कमान यानी थिएटराइजेशन पर बात करते हुए स्पष्ट कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीखे गए सबक इस मॉडल में शामिल किए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने उरी, बालाकोट, ऑपरेशन सिंदूर, गलवान, डोकलाम और कोविड जैसी परिस्थितियों से अनुभव प्राप्त किया है। इन सभी अनुभवों को अब एक ऐसी संगठनात्मक संरचना में बदलने की जरूरत है जो हर स्थिति में प्रभावी तरीके से काम कर सके।

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