एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने थिएटर कमांड पर जल्दबाजी से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिकी मॉडल की नकल नहीं करनी चाहिए और दिल्ली में संयुक्त योजना एवं समन्वय केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया।
New Delhi: भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने थिएटर कमांड की स्थापना को लेकर जल्दबाजी में कोई बड़ा निर्णय न लेने की सलाह दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अमेरिका या किसी अन्य देश के मॉडल की नकल करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय देश को अपनी सुरक्षा चुनौतियों और जरूरतों के हिसाब से एक अनोखा और व्यावहारिक ढांचा तैयार करना चाहिए।
थिएटर कमांड पर जल्दबाजी से बचने की चेतावनी
आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में एयर चीफ मार्शल ने कहा कि भारत को थिएटर कमांड की शुरुआत पर विचार जरूर करना चाहिए लेकिन किसी भी कीमत पर जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि किसी दूसरे देश का मॉडल अपनाने से पहले हमें यह समझना होगा कि भारत की भौगोलिक और सुरक्षा जरूरतें अलग हैं। इसलिए बिना सोचे-समझे किसी दूसरे देश के सिस्टम को अपनाना हमें गलत दिशा में ले जा सकता है।
दिल्ली में संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र का प्रस्ताव
एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने सुझाव दिया कि भारत को पहले दिल्ली में एक Joint Planning and Coordination Centre स्थापित करना चाहिए, जो Chiefs of Staff Committee के अधीन काम करे। इस केंद्र के माध्यम से थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल को मजबूत किया जा सकता है। उनका मानना है कि जब सभी आदेश एक ही केंद्र से जारी होंगे, तो समन्वय बेहतर होगा और भविष्य की चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाएगा।
मौजूदा ढांचे को अस्त-व्यस्त न करने की सलाह
उन्होंने कहा कि इस समय मौजूदा ढांचे को तोड़कर नया ढांचा बनाने की जरूरत नहीं है। पहले हमें छोटे स्तर पर एक मजबूत सिस्टम खड़ा करना होगा और उसके परिणाम देखने होंगे। अगर यह मॉडल सफल साबित होता है, तभी बड़े स्तर पर कोई नया स्ट्रक्चर तैयार करने पर विचार करना चाहिए। उनका कहना था कि जल्दबाजी में सब कुछ अस्त-व्यस्त करके नया ढांचा खड़ा कर देना भविष्य में मुश्किलें बढ़ा सकता है।
अमेरिका के मॉडल पर सवाल
एयर चीफ मार्शल ने यह भी कहा कि भारत को थिएटर कमांड की स्थापना में अमेरिका जैसे अंतरराष्ट्रीय मॉडलों से प्रेरणा नहीं लेनी चाहिए। हर देश की भौगोलिक, राजनीतिक और सुरक्षा परिस्थितियां अलग होती हैं। इसलिए भारत के लिए वही ढांचा उपयोगी होगा, जो उसकी अपनी जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया हो। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में कोई कदम उठाने से गलतियां हो सकती हैं, इसलिए हमें सावधानी से कदम बढ़ाना होगा।
ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख
थिएटर कमांड पर उनकी यह टिप्पणी ऑपरेशन सिंदूर के करीब साढ़े तीन महीने बाद आई है। इस ऑपरेशन में थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिला था। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि इस अभ्यास ने साबित किया कि जब तीनों सेनाएं एक साथ तालमेल के साथ काम करती हैं तो नतीजे और बेहतर होते हैं। लेकिन इसके लिए एक स्पष्ट कमांड और कंट्रोल सिस्टम होना बेहद जरूरी है।
भविष्य के युद्धों की तैयारी पर जोर
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और युद्ध का स्वरूप भी पहले से काफी अलग हो गया है। ऐसे में हमें भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर ही रणनीति बनानी होगी। उनका मानना है कि कमांड सिस्टम को केंद्रीकृत योजना के साथ चलाना चाहिए लेकिन क्रियान्वयन का ढांचा विकेंद्रीकृत होना चाहिए ताकि हर स्तर पर बेहतर तरीके से काम हो सके।
जल्दबाजी में फैसले न लेने की सलाह
वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि थिएटर कमांड को लेकर किसी तरह के राजनीतिक या बाहरी दबाव में आकर निर्णय नहीं लेना चाहिए। जल्दबाजी में उठाए गए कदम देश के सुरक्षा ढांचे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें पहले छोटे स्तर पर प्रयोग करने चाहिए और अगर वह सफल होते हैं तो धीरे-धीरे बड़े ढांचे की ओर बढ़ना चाहिए।
भारत को क्यों चाहिए अपना मॉडल
भारत की भौगोलिक और सुरक्षा चुनौतियां अमेरिका या किसी अन्य देश से अलग हैं। भारत को एक साथ सीमाओं की सुरक्षा, समुद्री इलाकों पर नजर और वायु क्षेत्र की निगरानी जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए भारत को एक ऐसा मॉडल चाहिए जो उसकी परिस्थितियों के मुताबिक तैयार हो, न कि किसी दूसरे देश की कॉपी हो।