जन सुराज पार्टी (जसुपा) ने शुक्रवार को बेदारी सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है। इस सम्मेलन में बिहार की राजनीति में मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा और उनकी न्यूनतम भागीदारी के कारणों पर चर्चा होगी, साथ ही जसुपा के साथ उनके राजनीतिक संभावनाओं पर भी बात होगी।
पटना: बिहार की राजनीति में मुस्लिम समुदाय की प्रतिनिधित्व की कमी और उनकी उपेक्षा पर अब चर्चा तेज हो गई है। इस दिशा में जन सुराज पार्टी (Jaspa) के माध्यम से एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। पार्टी पटना में ‘बेदारी सम्मेलन’ आयोजित कर रही है, जिसमें प्रशांत किशोर (PK) मुख्य वक्ता होंगे। सम्मेलन का उद्देश्य बिहार की राजनीति में मुस्लिम समुदाय की न्यूनतम भागीदारी, उनके अधिकारों और भविष्य की संभावना पर संवाद करना है।
बिहार में मुसलमान लगभग 18 फीसदी आबादी रखते हैं, लेकिन उनकी हिस्सेदारी विधानसभा या अन्य राजनीतिक पदों में अपेक्षाकृत बहुत कम है। इसके विपरीत, 2–3 फीसदी आबादी वाले समाज के लोग मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री पद के दावेदार बन जाते हैं। इसी असमान प्रतिनिधित्व को लेकर PK ने सार्वजनिक तौर पर मुसलमानों के साथ संवाद करने और उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने का वादा किया है।
बेदारी सम्मेलन: उद्देश्य और महत्व
बेदारी सम्मेलन पटना के हज भवन सभागार में आयोजित किया जाएगा। जसुपा के प्रदेश प्रवक्ता सदफ इकबाल ने बताया कि मुस्लिम नेतृत्व को राजनीति में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा:
'वोट तो सबने लिया, लेकिन मुस्लिम नेतृत्व को राजनीति में पर्याप्त अवसर नहीं मिला। प्रशांत किशोर एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने इस कमी को पहचाना और सुधार का रास्ता दिखाया।'
सम्मेलन का मकसद केवल मुस्लिम समुदाय की समस्याओं पर चर्चा करना नहीं है, बल्कि उनके नेतृत्व को विकसित करने और राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाना भी है।
प्रशांत किशोर का मुस्लिम नेतृत्व पर जोर
जसुपा के अनुसार, प्रशांत किशोर ने पिछले साल 14 जुलाई को पटना में बिहार के मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की थी। बैठक में उन्होंने समुदाय के नेताओं को यह समझाया कि किस तरह मजबूत नेतृत्व बनाकर वे अपने अधिकार और राजनीतिक प्रभाव सुनिश्चित कर सकते हैं। सम्मेलन के संयोजक वसीम नैयर ने कहा. PK ने स्पष्ट किया है कि मुस्लिम समुदाय को उनकी आबादी के अनुपात के अनुसार हिस्सेदारी दी जाएगी। यही कारण है कि मुस्लिम बुद्धिजीवियों का विश्वास PK पर बढ़ रहा है।
इस सम्मेलन में पूरे बिहार के मुस्लिम बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है ताकि वे PK से मिलकर अपनी अपेक्षाओं और सुझावों पर संवाद कर सकें। बिहार में मुसलमानों की राजनीतिक हिस्सेदारी पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। पार्टी नेतृत्व और निर्णय लेने वाले पदों पर समुदाय का प्रतिनिधित्व न्यूनतम है। Jaspa और PK इस कमी को दूर करने के लिए समान प्रतिनिधित्व और न्यायसंगत हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की पहल कर रहे हैं।