बिहार में वोटर लिस्ट की SIR प्रक्रिया पर सियासी टकराव तेज़ हो गया है। विपक्ष ने इसे गरीब और पिछड़े वर्गों के वोट काटने की साजिश बताया और 11 अगस्त को चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च का ऐलान किया।
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में हो रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर देश की राजनीति में खलबली मच गई है। इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह संसद में इस अहम मुद्दे पर चर्चा से बच रही है, क्योंकि वह कुछ छिपाना चाहती है।
वहीं दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए संवैधानिक नियमों के तहत संसद में इस पर बहस नहीं की जा सकती। लेकिन विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं है और अब 11 अगस्त को दिल्ली स्थित चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च करने की तैयारी में है।
क्या है SIR और क्यों है विवाद?
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) चुनाव आयोग की एक प्रक्रिया है जिसके तहत मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण किया जाता है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिहीन बनाना होता है। लेकिन विपक्ष का दावा है कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों के वोट को जानबूझकर हटाया जा रहा है। 'केसी वेणुगोपाल ने कहा, 'सरकार SIR शब्द तक सुनना नहीं चाहती। इससे साफ है कि कुछ न कुछ छिपाया जा रहा है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता के नाम पर लोगों को वोट के अधिकार से वंचित करने का तरीका बन रही है।'
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को वोटर आईडी से लिंक करने की सलाह दी थी, लेकिन सरकार न तो कोर्ट की बात सुन रही है और न ही लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन कर रही है।
SIR पर विपक्ष का सवाल – वोट काटने की साजिश?
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची की विशेष समीक्षा ऐसे समय में की जा रही है जब राज्य में चुनाव की तैयारी चल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार यह बताने से क्यों बच रही है कि इस प्रक्रिया की जरूरत क्या है? उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, पिछड़े और दलित वर्गों के मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि SIR के जरिए सुनियोजित तरीके से कुछ खास तबकों को निशाना बनाया जा रहा है जिससे सत्तारूढ़ दल को चुनावी लाभ मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड और वोटर आईडी को लिंक करने की बात जरूर कही थी, लेकिन इसके नाम पर अगर एकतरफा तरीके से वोट हटाए जा रहे हैं तो यह संविधान के खिलाफ है।
विपक्ष का विरोध प्रदर्शन, एकजुटता का प्रदर्शन
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों का साझा गठबंधन INDIA Bloc अब सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। 11 अगस्त को दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय तक विरोध मार्च आयोजित किया जाएगा। इस मार्च में कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, राजद, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके सहित अन्य विपक्षी दलों के नेता भाग लेंगे। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी मार्च में शामिल होने की घोषणा की है। वेणुगोपाल का कहना है कि, 'यह सिर्फ एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है।'
केंद्र सरकार का पक्ष – मामला न्यायालय में, चर्चा नहीं संभव
वहीं केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए साफ किया है कि SIR से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। संसद में इस पर चर्चा करना नियमों के खिलाफ होगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि नियम 186(viii) और 352(i) के तहत ऐसे किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती जो अदालत में लंबित हो। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और उसके कार्यों में संसद हस्तक्षेप नहीं कर सकती। रिजिजू ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे जानबूझकर संवैधानिक प्रक्रिया की अनदेखी कर रहे हैं और ऐसा करके वे संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं।