बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में तनाव बढ़ गया। उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी के लिए 24 सीटों की मांग रखी, जिससे गठबंधन में रणनीति और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई है।
Bihar Election 2025: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एनडीए (NDA) गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बार राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLJD) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कम से कम 24 सीटों की मांग रखी है। उनके इस कदम से गठबंधन में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। बीजेपी और जेडीयू इस मांग पर विचार कर रही हैं, जिससे सीट बंटवारे को लेकर रणनीति पर चर्चा तेज हो गई है।
उपेंद्र कुशवाहा की सीटों की मांग
कुशवाहा ने अपनी पार्टी के लिए 24 महत्वपूर्ण सीटों की मांग की है। इन सीटों में उजियारपुर, महुआ, दिनारा, मधुबनी, सासाराम, ओबरा, कुर्था, शेखपुरा, गोह, सुल्तानगंज और बाजपट्टी प्रमुख हैं। कुशवाहा का कहना है कि एनडीए में उनकी पार्टी को बिहार के कई इलाकों में मजबूत स्थिति के अनुसार हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
हाल ही में भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े के साथ कुशवाहा की बैठक हुई। बैठक में सीट बंटवारे और गठबंधन की रणनीति पर गहन चर्चा हुई।
एनडीए में बढ़ा तनाव
कुशवाहा की मांग से एनडीए में तनातनी का माहौल बन गया है। पहले ही जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की सीटों को लेकर विवाद चल रहा था। कुशवाहा की 24 सीटों की मांग ने गठबंधन में और असमंजस पैदा कर दिया है। हालांकि, फिलहाल कोई नेता इस मुद्दे पर खुलकर टिप्पणी नहीं कर रहा है, लेकिन भाजपा में चर्चा जरूर शुरू हो गई है।
बता दें कि कुशवाहा की बड़ी मांग का उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाकर कम से कम 10 से 12 प्रभावशाली सीटों पर टिकट सुनिश्चित करना है। इससे उनकी पार्टी का राजनीतिक आधार मजबूत होगा और विधानसभा में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।
पिछले चुनावों में कुशवाहा का प्रदर्शन
उपेंद्र कुशवाहा के पिछले चुनावी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो उनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। 2015 में वह एनडीए के साथ थे और उस समय जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी। कुशवाहा को 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला, लेकिन केवल दो प्रत्याशी ही जीत सके।
2020 में कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए और उन्होंने 99 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इस बार भी उनका प्रदर्शन खराब रहा और पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी। 2024 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा एकमात्र काराकाट सीट पर चुनाव में उतरे, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।